हिंदू धर्म में दिन की शुरुआत को बहुत महत्व दिया गया है. विशेष रूप से ब्रह्म मुहूर्त को ऐसा समय माना गया है जब पूरी प्रकृति शांत, पवित्र और ऊर्जा से भरी होती है. यह समय प्रातः तीन बजे से पांच बजे के बीच का होता है. कहा जाता है कि इस समय वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा अपने चरम पर होती है और मन भी पूरी तरह से शांत रहता है.
शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त आध्यात्मिक और मानसिक विकास के लिए सबसे उपयुक्त समय है. इस समय में किया गया ध्यान, योग या पूजा-पाठ कई गुना फलदायी होता है. इसे अक्षय मुहूर्त भी कहा जाता है, क्योंकि इस समय किए गए शुभ कार्यों का फल अक्षय यानी कभी नष्ट न होने वाला माना गया है.
जो व्यक्ति इस समय उठकर अपने कार्यों की शुरुआत करता है, उसका मन अधिक साफ और एकाग्र रहता है. सोचने और समझने की शक्ति बढ़ती है तथा शरीर पूरे दिन ऊर्जावान महसूस करता है.
ब्रह्म मुहूर्त में उठने के बाद सबसे पहले अपनी हथेलियों को देखना शुभ माना गया है. मान्यता है कि हमारी हथेलियों में त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का निवास होता है. इसलिए आंख खुलते ही हथेलियों का दर्शन करना दिन की शुभ शुरुआत का प्रतीक है.
उठने के बाद अपने इष्टदेव का स्मरण करना और गायत्री मंत्र का जाप करना अत्यंत फलदायी माना जाता है. “ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्.” इस मंत्र का उच्चारण मन को शुद्ध करता है और व्यक्ति के विचारों में सकारात्मकता लाता है.
मंत्रोच्चारण के बाद कुछ देर ध्यान लगाकर भगवान शिव का स्मरण करना चाहिए. “ॐ” का जप करने से आत्मा में शांति और स्थिरता आती है. ऐसा करने से मन शांत रहता है, नकारात्मक विचार दूर होते हैं और जीवन में लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
जो व्यक्ति नियमित रूप से इस समय उठने की आदत बनाता है, उसे मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक तीनों ही स्तरों पर लाभ मिलता है. यह समय शरीर को स्वस्थ, मन को प्रसन्न और आत्मा को संतुलित बनाता है.
अंत में, ब्रह्म मुहूर्त केवल पूजा या साधना का समय नहीं, बल्कि आत्म-विकास का अवसर है. इस शांत और पवित्र समय में उठकर यदि हम अपने दिन की शुरुआत करते हैं, तो जीवन में सफलता, शांति और सकारात्मकता अपने आप बढ़ने लगती है.
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