यूपी बोर्ड ने 100 साल के लंबे इतिहास में पहली बार हाईस्कूल और इंटर की उत्तर पुस्तिकाओं का लेआउट पूरी तरह बदलने का ऐतिहासिक फैसला किया है. यह बदलाव सिर्फ दिखावे के लिए नहीं है, बल्कि छात्रों को लिखने में बेहतर सुविधा देने, नकल रोकने और कॉपियों की अदला-बदली को असंभव बनाने के उद्देश्य से किया गया है.
2026 की यूपी बोर्ड परीक्षा 18 फरवरी से 12 मार्च के बीच आयोजित की जाएगी. इस बार परीक्षा में कुल 52 लाख 30 हजार 297 छात्र शामिल होंगे. इनमें 10वीं के लगभग 27.5 लाख और 12वीं के करीब 25 लाख छात्र शामिल हैं. इतनी बड़ी संख्या के लिए करीब 2 करोड़ 60 लाख नई कॉपियां छापी जा रही हैं, जिन्हें जनवरी तक सभी जिलों में वितरित कर दिया जाएगा.
अब तक यूपी बोर्ड की कॉपियां चौड़ाई में होती थीं. इस बार बोर्ड ने उन्हें लंबाई वाली कॉपियों में बदल दिया है. इससे छात्रों को लिखते समय अधिक जगह मिलेगी और पेज के अनुसार उनकी राइटिंग साफ और व्यवस्थित दिखाई देगी. बोर्ड के सचिव भगवती सिंह के अनुसार, नए लेआउट से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि कॉपी की अदला-बदली करना लगभग असंभव हो जाएगा. नकल माफिया के लिए यह बड़ा झटका साबित होगा, क्योंकि अब किसी भी तरह की गड़बड़ी पकड़ना आसान होगा.
नई कॉपियों में कलर कोडिंग का भी इस्तेमाल किया गया है:
हर पन्ने पर माध्यमिक शिक्षा परिषद का मोनोग्राम होगा, जिससे डुप्लीकेसी यानी नकली कॉपी बनाने की संभावना खत्म हो जाएगी. इन कॉपियों की छपाई प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी और रामपुर के सरकारी प्रेसों में कराई जा रही है, ताकि सुरक्षा और गुणवत्ता पर पूरी नजर रखी जा सके.
यूपी बोर्ड लंबे समय से परीक्षा को नकल मुक्त बनाने के मिशन पर काम कर रहा है. हाईटेक सेंटर, CCTV निगरानी और स्कैन की गई कॉपियों की जांच जैसी कई पहल पहले ही की जा चुकी हैं. लेकिन 2026 में कॉपियों का लेआउट बदलना अब तक का सबसे बड़ा और प्रभावी कदम माना जा रहा है. बोर्ड अधिकारियों का कहना है कि इससे परीक्षा में पारदर्शिता बढ़ेगी और छात्रों का विश्वास मजबूत होगा.
यूपी बोर्ड की स्थापना 1921 में हुई थी और पहली परीक्षा 1923 में आयोजित की गई थी. तब से लेकर अब तक कॉपियों के लेआउट में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ. 2026 के इस कदम को बोर्ड ने ऐतिहासिक माना है. अभी तक 7448 परीक्षा केंद्रों की प्रोविजनल सूची जारी की गई है. अंतिम सूची 30 दिसंबर 2025 को जारी होगी. वहीं, प्रैक्टिकल परीक्षाएं जनवरी में संपन्न होंगी.
इस बदलाव से न सिर्फ नकल माफिया की योजना फेल होगी, बल्कि छात्रों को लिखाई में बेहतर सुविधा और परीक्षा में पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी. यूपी बोर्ड की यह पहल आने वाले सालों में परीक्षा प्रणाली में एक नई मिसाल कायम करेगी.
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