इस हफ्ते इंडिगो के लिए आसमान कुछ ज्यादा ही भारी रहा. देश की सबसे बड़ी एयरलाइन अचानक एक ऐसे संकट में फंस गई, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. एक ही दिन में 550 से ज्यादा फ्लाइटों का रद्द होना यात्रियों के लिए सिरदर्द बन गया. एयरपोर्ट्स पर लंबी लाइनें, घंटों की देरी, और लगातार हो रहे कैंसिलेशन ने यात्रियों को गुस्से में भर दिया. मुंबई में 118, बेंगलुरु में 100, हैदराबाद में 75 फ्लाइटें ठप रहीं. हालात इतने बिगड़ गए कि इंडिगो की कभी शान रही ऑन-टाइम परफॉर्मेंस सिर्फ 19.7% पर आकर टिक गई.
स्थिति को देखते हुए DGCA और उड्डयन मंत्रालय ने तुरंत कंपनी के शीर्ष प्रबंधन को तलब किया. वहीं CEO पीटर एल्बर्स ने खुलकर माना, “हमने जो भरोसा बनाया था, उसे वापस पाना आसान नहीं होगा.”
आज जो इंडिगो भारत की 64% घरेलू उड़ानों का संचालन कर रही है, उसकी शुरुआत बेहद साधारण विचार से हुई थी. 2005 में राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल ने ऐसा एयरलाइन मॉडल बनाया जिसमें कोई दिखावट नहीं, कोई फिजूलखर्ची नहीं—सिर्फ समय पर उड़ान और लो-कॉस्ट सर्विस.
दुनिया तब दंग रह गई जब पहली उड़ान से पहले ही कंपनी ने 100 एयरबस A320 का ऑर्डर दे दिया. 2006 में पहली उड़ान भरी और कुछ ही सालों में इंडिगो ने एयर इंडिया, जेट और किंगफिशर जैसे दिग्गजों को पीछे छोड़ते हुए भारत के आसमान पर राज करना शुरू कर दिया. इसके बाद 2019 में 300 और 2023 में 500 जहाजों का ऐतिहासिक ऑर्डर देकर इंडिगो ने साफ कर दिया कि वह लंबी दौड़ के लिए तैयार है.
इंडिगो का मॉडल बहुत सीधा था:
किंगफिशर जहाँ लक्ज़री में फंस गया और जेट एयरवेज लागत में डूब गया, वहीं इंडिगो ने भरोसे को अपनी पहचान बनाया. कोविड के दौरान जब पूरी एविएशन दुनिया ढह रही थी, इंडिगो ने तेजी से बदलाव किए कुछ विमानों को कार्गो प्लेन में बदला, छोटे शहरों पर फोकस किया और तेज़ी से मुनाफे में लौट आई.
यही नहीं, इंडिगो भारत की पहली एयरलाइन बनने वाली थी जिसने एक ही साल में 10 करोड़ यात्री उड़ाए.
इंडिगो की उड़ान के बीच एक दौर ऐसा भी आया जब संस्थापक राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल के बीच विवाद खुलकर सामने आए. गंगवाल बेहतर गवर्नेंस चाहते थे, जबकि भाटिया नियंत्रण. मामला इतना बढ़ा कि 2025 तक गंगवाल ने अपनी पूरी हिस्सेदारी ही बेच दी. इसके बावजूद कंपनी रुकी नहीं और इंटरनेशनल सेक्टर में A350 और बोइंग 777 के साथ कदम बढ़ा रही है. लेकिन मौजूदा संकट ने दिखाया कोई भी एयरलाइन अजेय नहीं
इन सबने इंडिगो को लगभग जमीन पर ला दिया. सरकार ने फिलहाल नियमों को पीछे खींचकर राहत दी है, लेकिन चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुईं. Air India की आक्रामक वापसी, बढ़ती लागतें और वैश्विक अनिश्चितताएं इंडिगो के सामने नई मुश्किलें खड़ी कर रही हैं. फिर भी इतिहास गवाही देता है इंडिगो जब भी गिरती है, और ऊंची उड़ान भरकर लौटती है.
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