उत्तर प्रदेश की राजनीति में गुरुवार को एक बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला, जब समाजवादी पार्टी ने अपनी विधायक पूजा पाल को पार्टी से निकाल दिया। उन पर आरोप है कि उन्होंने पार्टी की लाइन के खिलाफ बयान दिए और अनुशासन तोड़ा।
पूजा पाल इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से सपा की विधायक हैं। उनका विवाद तब शुरू हुआ, जब उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की खुले तौर पर तारीफ की। उन्होंने कहा कि योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति के कारण उन्हें न्याय मिला और राज्य में कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ है।
दरअसल, पूजा पाल का नाम अतीक अहमद गैंग से जुड़े एक मामले में जुड़ा रहा है। उनके पति की हत्या में अतीक अहमद और उसके गिरोह का नाम आया था। पूजा पाल लंबे समय से इंसाफ की मांग कर रही थीं। हाल ही में उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने सख्त कार्रवाई करके अतीक अहमद जैसे बड़े अपराधियों का खात्मा किया, जिसके लिए वह मुख्यमंत्री की आभारी हैं।
यही बयान उनकी पार्टी सपा के लिए विवाद का कारण बन गया। सपा का मानना है कि किसी भी विधायक को विरोधी पार्टी के नेता की इस तरह प्रशंसा नहीं करनी चाहिए, खासकर तब जब वह कार्रवाई सपा के कुछ पुराने नेताओं की छवि को प्रभावित करती हो। पार्टी ने इस बयान को पार्टी विरोधी गतिविधि माना और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की।
सपा के प्रवक्ता ने बताया कि विधायक पूजा पाल को अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी बयानबाजी के चलते तुरंत प्रभाव से पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है।
इस घटना ने यूपी की राजनीति में हलचल मचा दी है। एक तरफ बीजेपी समर्थक इसे योगी सरकार की सख्ती की जीत मान रहे हैं, तो दूसरी तरफ सपा के कुछ नेता इसे पार्टी में अनुशासन बनाए रखने के लिए जरूरी कदम बता रहे हैं।
कुल मिलाकर, यह मामला दिखाता है कि राजनीति में बयानबाजी कितनी संवेदनशील हो सकती है और पार्टी लाइन से हटकर बोले गए शब्द भी बड़े फैसले तक ले जा सकते हैं।
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