पंजाब के किसान संगठन और विपक्षी दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 1,600 करोड़ रुपये के बाढ़ राहत पैकेज को बहुत कम और मज़ाकिया बता रहे हैं। उनका कहना है कि यह राशि पंजाब में बाढ़ से हुए भारी नुकसान की तुलना में बिल्कुल नाकाफी है।
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने कहा कि यह पैकेज पंजाब के लिए “समुद्र में एक बूंद” के बराबर है। उन्होंने कहा कि लोगों को प्रधानमंत्री से बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन यह राशि उन्हें पूरी तरह निराश करती है। पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि यह राशि राज्य के वास्तविक नुकसान का सिर्फ़ 8 प्रतिशत है। उन्होंने केंद्र से अनुरोध किया कि जीएसटी मुआवज़ा, आरडीएफ और अन्य योजनाओं के तहत पंजाब के हक का 60,000 करोड़ रुपये तुरंत जारी किया जाए, जिससे राज्य अपने पैरों पर खड़ा हो सके।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव परगट सिंह ने कहा कि यह राहत पैकेज पंजाबियों के लिए अपमान के समान है। उनका कहना था कि प्रधानमंत्री ने बाढ़ पीड़ितों की मदद कर रहे स्वयंसेवकों का कोई उल्लेख नहीं किया।
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने भी प्रधानमंत्री से अनुरोध किया कि 1,600 करोड़ रुपये की राशि बढ़ाई जाए। उन्होंने आम आदमी पार्टी की सरकार पर भी आरोप लगाया कि उसने आपदा प्रबंधन कोष में मौजूद 12,000 करोड़ रुपये में से एक पैसा भी समय पर बाढ़ प्रभावित किसानों की मदद के लिए नहीं दिया। बादल ने कहा कि पंजाब 20 दिन से बाढ़ की चपेट में है, खेत डूब गए हैं, घर और मवेशी नष्ट हुए हैं, लेकिन सरकार ने समय पर राहत नहीं दी।
भारतीय किसान यूनियन और संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री का पैकेज किसानों के साथ एक क्रूर मज़ाक है। उन्होंने बताया कि लगभग 2,000 गाँव प्रभावित हुए हैं और प्रत्येक गाँव को सिर्फ़ 80 लाख रुपये ही मिले। किसान नेताओं ने वादा किया कि वे घरों, फसलों और जानमाल का पूरा मुआवज़ा दिलाने के लिए संघर्ष जारी रखेंगे।
किसान संगठनों ने केंद्र सरकार से यह भी कहा कि बाढ़ प्रभावित किसानों के ऋण माफ किए जाएं और सभी फसलों पर फसल बीमा योजना लागू की जाए। किसान मज़दूर मोर्चा के नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि यह राहत पैकेज उम्मीद से बहुत कम है और यह स्पष्ट नहीं है कि घोषित धनराशि का सही उपयोग कैसे होगा।
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