पंजाब में बाढ़ से हुई भारी तबाही के बीच मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई में आज हुई कैबिनेट बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए। इन फैसलों में सबसे अहम है – "जिसका खेत, उसकी रेत" योजना। इस योजना के तहत किसानों को अपने खेतों में जमा हुई रेत बेचने की पूरी छूट दी गई है।
बैठक के बाद वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि बाढ़ के कारण कई किसानों के खेतों में 3-4 फीट तक रेत भर गई है। अब किसान 31 दिसंबर तक बिना किसी परमिट के इस रेत को बेच पाएंगे। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलेगी।
इसके अलावा कैबिनेट ने बाढ़ पीड़ितों के लिए मुआवज़े का भी ऐलान किया है।
बाढ़ में जान गंवाने वाले हर व्यक्ति के परिजनों को 4 लाख रुपये दिए जाएंगे।
फसल को हुए नुकसान की भरपाई के लिए किसानों को 20,000 रुपये प्रति एकड़ मुआवज़ा मिलेगा। यह राशि अब तक किसी भी राज्य सरकार द्वारा दी गई सबसे ज़्यादा मदद मानी जा रही है।
जिन परिवारों के घर बाढ़ में ढह गए हैं, उनका सर्वे करवाकर वित्तीय सहायता दी जाएगी।
बाढ़ प्रभावित किसानों को लिए गए ऋण की किश्तें चुकाने के लिए 6 महीने की मोहलत दी जाएगी। इस दौरान ब्याज में भी छूट मिलेगी।
सरकार ने यह भी कहा कि जिन लोगों को पशु और मछली पालन में नुकसान हुआ है, उन्हें भी मुआवज़ा मिलेगा। साथ ही, पशुओं के लिए विशेष टीकाकरण अभियान चलाया जाएगा।
स्वास्थ्य को लेकर भी बड़ा कदम उठाया गया है। बाढ़ के बाद फैलने वाली बीमारियों से बचाव के लिए लगभग 1700 गांवों और 300 शहरी क्षेत्रों में फॉगिंग की जाएगी। हर गांव में अस्थायी क्लीनिक बनाए जाएंगे और डॉक्टरों की टीम दवाइयों और इलाज की सुविधा देगी।
इसके अलावा, बाढ़ से प्रभावित स्कूलों और बिजली ढांचे की मरम्मत युद्ध स्तर पर करने का फैसला लिया गया है।
गौरतलब है कि इससे पहले शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने भी "किसान दा खेत – किसान दी रेत" योजना का ऐलान किया था। उन्होंने किसानों से कहा था कि खेतों में जमा रेत का हक सिर्फ किसानों का है, और अगर सरकार ने इसमें दखल दिया तो अकाली दल विरोध करेगा।
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