भारतीय टेस्ट क्रिकेट के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाजों में से एक चेतेश्वर पुजारा ने आखिरकार क्रिकेट के हर फॉर्मेट से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया है. उनके इस फैसले ने करोड़ों क्रिकेट फैंस को भावुक कर दिया. पुजारा को लंबे समय से टीम इंडिया में जगह नहीं मिल रही थी, लेकिन उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता.
पुजारा को अक्सर राहुल द्रविड़ के बाद भारतीय टीम की नई ‘दीवार’ कहा जाता था. उनकी बल्लेबाजी की शैली, संयम और धैर्य से भरी पारी ने कई बार टीम को मुश्किल हालात से बाहर निकाला. टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 100 से ज्यादा मुकाबले खेले और 7,000 से ज्यादा रन बनाए. ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसी टीमों के खिलाफ उनकी पारियां भारतीय क्रिकेट इतिहास में यादगार रहेंगी.
Wearing the Indian jersey, singing the anthem, and trying my best each time I stepped on the field - it’s impossible to put into words what it truly meant. But as they say, all good things must come to an end, and with immense gratitude I have decided to retire from all forms of… pic.twitter.com/p8yOd5tFyT
— Cheteshwar Pujara (@cheteshwar1) August 24, 2025
चेतेश्वर पुजारा ने 2010 में भारत की ओर से इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखा था. उनका डेब्यू बेंगलुरु में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हुआ था. पुजारा का करियर भले ही वनडे और टी20 में लंबा न रहा हो, लेकिन उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में अपनी अलग पहचान बनाई. उनकी सबसे बड़ी ताकत रही लंबी पारी खेलना और विपक्षी गेंदबाजों को थकाकर टीम को जीत दिलाना.
2018-19 की बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनका प्रदर्शन सबसे ज्यादा याद किया जाता है. उस सीरीज में उन्होंने तीन शतक लगाए और भारत को पहली बार ऑस्ट्रेलिया की सरज़मीं पर ऐतिहासिक जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई. उस वक्त पूरी दुनिया ने माना कि पुजारा टीम इंडिया की रीढ़ हैं.
बीते कुछ सालों में पुजारा का स्ट्राइक रेट और रन बनाने की गति को लेकर आलोचना होती रही. बदलते दौर के क्रिकेट में जहां तेजी से रन बनाने की मांग थी, वहां पुजारा की धीमी बल्लेबाजी सवालों के घेरे में रही. यही वजह रही कि उन्हें धीरे-धीरे टीम से बाहर होना पड़ा.
हालांकि, आलोचना के बावजूद पुजारा का नाम हमेशा भारतीय क्रिकेट की महान बल्लेबाजों की लिस्ट में लिया जाएगा. उन्होंने टेस्ट क्रिकेट को जिंदा रखने में बड़ा योगदान दिया और युवा खिलाड़ियों को सिखाया कि धैर्य, तकनीक और अनुशासन से किसी भी मुश्किल का सामना किया जा सकता है.
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