छोटे बच्चों का विकास बहुत तेजी से होता है और इस दौरान उनकी नींद का पैटर्न सही होना बेहद जरूरी है. 6 महीने का बच्चा आम तौर पर दिन और रात में 13-14 घंटे सोता है. अगर बच्चा देर से सोता है या बार-बार जागता है, तो इसका असर उसके विकास और अगले दिन के मूड पर पड़ता है. बच्चा चिड़चिड़ा या ज्यादा सोने वाला हो सकता है, जिससे रात की नींद और बिगड़ जाती है.
अगर बच्चा दिन में खूब एक्टिव रहता है, तो आम तौर पर शाम 8 बजे तक आराम से सो जाएगा. लेकिन कई बार बच्चे देर तक जागते हैं, जिसका कारण पेरेंट्स की कुछ आम गलतियां होती हैं.
बच्चे का रोजाना सोने का एक निश्चित समय होना बहुत जरूरी है. कई बार फैमिली में कोई न कोई बच्चे को गोद में लेकर रखता है या रात में बार-बार उठाता है. इससे बच्चा किसी भी समय सोने की आदत डाल देता है और नींद का पैटर्न बिगड़ जाता है. समाधान: हर दिन बच्चे को एक ही समय पर सुलाएं। कुछ दिनों में ही बच्चा उसी समय नींद लेने लगेगा.
बहुत सारे पेरेंट्स रात में लाइट जलाकर रखते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर देख सकें. तेज रोशनी से बच्चे की नींद में रुकावट आती है. समाधान: कमरे की लाइट हल्की रखें, जिससे बच्चा आराम से सो सके.
बच्चे को दूध पिलाते या झुलाते हुए सुलाने से उसकी आदत बन जाती है. जब बच्चा बिस्तर पर अकेले सोने की कोशिश करता है, तो नींद जल्दी खुल जाती है. समाधान: बच्चे को बिस्तर पर ही सुलाने की आदत डालें.
बच्चे की अच्छी नींद के लिए रूम का तापमान न्यूट्रल होना चाहिए. थोड़ी भी गर्मी या सर्दी से नींद टूट सकती है. कमरे का वातावरण शांत होना चाहिए.
बिस्तर या कपड़े असहज होने से बच्चा बार-बार जाग सकता है. सर्दियों में मोटे ऊनी कपड़े पहनाने से नींद टूट सकती है. समाधान: हल्के और आरामदायक कपड़े पहनाएं. ठंड में लेयरिंग का इस्तेमाल करें.
Copyright © 2025 The Samachaar
