प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन 2025 के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय बैठक की. पीएम मोदी शनिवार को दो दिवसीय चीन यात्रा पर पहुंचे थे और सम्मेलन में शामिल होने से पहले शी जिनपिंग से आमने-सामने मुलाकात की.
बैठक की शुरुआत में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पीएम मोदी का स्वागत किया और कहा, “प्रधानमंत्री महोदय, आपसे फिर से मिलकर खुशी हो रही है. पिछली साल कज़ान में हमारी मुलाकात सफल रही थी. दुनिया इस समय बड़े बदलाव के दौर से गुजर रही है. हम दोनों सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश हैं. अच्छे पड़ोसी बनना और ड्रैगन और हाथी का साथ आना बेहद जरूरी है.”
वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि भारत-चीन रिश्ते तभी मजबूत हो सकते हैं जब विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता तीनों मूल्यों को ईमानदारी से निभाया जाए.
शी जिनपिंग ने एससीओ सम्मेलन में भाग लेने के लिए मोदी का आभार जताया और कहा कि भारत और चीन दोनों प्राचीन सभ्यताओं के धनी देश हैं. उन्होंने कहा, “ड्रैगन और हाथी का साथ आवश्यक है. भारत और चीन की दोस्ती वैश्विक स्थिरता और विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.”
मोदी ने भी अपने भाषण में कहा कि कज़ान में हुई पिछली मुलाकात से द्विपक्षीय संबंधों को सकारात्मक दिशा मिली है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि सीमाओं पर शांति और स्थिरता बनी हुई है, कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू हो चुकी है और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें भी बहाल की जा रही हैं.
#WATCH | तियानजिन, चीन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक के दौरान, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा, "... चीन और भारत पूर्व की दो प्राचीन सभ्यताएँ हैं। हम दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देश हैं, और हम ग्लोबल साउथ के भी महत्वपूर्ण सदस्य हैं। हम दोनों अपने… pic.twitter.com/rCWDf5SUwY
— ANI_HindiNews (@AHindinews) August 31, 2025
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और चीन का सहयोग सिर्फ दोनों देशों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के लिए लाभकारी है. करीब 2.8 अरब लोगों के हित इन रिश्तों से जुड़े हैं.
गौरतलब है कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय आयात पर 50% टैरिफ लगाया था, लेकिन इसके बावजूद भारत अपनी नीति पर अडिग रहा. विश्लेषकों का मानना है कि इसी वजह से भारत और चीन एक-दूसरे के और करीब आ रहे हैं और वैश्विक स्तर पर नए समीकरण बन रहे हैं.
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