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सेक्स, पावर और... जब एक पादरी बना रईस महिला के बदले का शिकार! 700 साल पुराने मर्डर का खुला राज

मध्यकालीन इंग्लैंड में 700 साल पहले हुआ एक चौंकाने वाला कत्ल- अब जाकर उसका रहस्य पूरी तरह उजागर हुआ है। साल 1337 में इंग्लैंड के सालिसबरी शहर की एक व्यस्त सड़क पर पादरी जॉन फोर्ड की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी.

👤 Sagar 07 Jun 2025 12:22 PM

मध्यकालीन इंग्लैंड में 700 साल पहले हुआ एक चौंकाने वाला कत्ल- अब जाकर उसका रहस्य पूरी तरह उजागर हुआ है। साल 1337 में इंग्लैंड के सालिसबरी शहर की एक व्यस्त सड़क पर पादरी जॉन फोर्ड की गला रेतकर हत्या कर दी गई थी. उस दौर में यह बस एक और हिंसक घटना मानी गई, लेकिन अब कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के इतिहासकारों और अपराध विशेषज्ञों की एक टीम ने खुलासा किया है कि यह हत्या इंग्लिश अभिजात वर्ग की एक महिला द्वारा रची गई साजिश का हिस्सा थी. एक ऐसा खेल जिसमें बदला, अपमान और सत्ता की टकराहट शामिल थी.

इस रहस्य का पर्दाफाश ‘मेडिएवल मर्डर मैप्स’ प्रोजेक्ट के तहत हुआ है. इस योजना का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर मैनुअल आइजनर ने सैकड़ों साल पुराने कोरोनर रिकॉर्ड, चर्च फाइलें और कानूनी दस्तावेजों को खंगाला और उस पौराणिक हत्या को फिर से जोड़ा.

एक राजसी महिला, एक पादरी और एक कत्ल

इस साज़िश की मुख्य किरदार थीं एला फिट्जपेन, एक रईस और ताक़तवर महिला, जिनके चर्च के कई व्यक्तियों के साथ गुप्त संबंध थे. जिनमें खुद जॉन फोर्ड भी शामिल थे. जब चर्च को यह सब पता चला तो उन्होंने एला को सबके सामने अपमानित करने की सजा दी. उन्हें सालिसबरी कैथेड्रल के चारों ओर नंगे पांव चलने को मजबूर किया गया, महंगे गहने और रेशमी कपड़े पहनने पर रोक लगा दी गई और भारी जुर्माना लगाया गया. प्रो. आइजनर का कहना है कि यह केवल धार्मिक दंड नहीं था, बल्कि चर्च द्वारा अभिजात वर्ग को नीचा दिखाने का प्रयास था. लेकिन एला ने यह अपमान नहीं भूला.

पादरी बना राजनीतिक शक्ति संघर्ष का मोहरा

इस बदले की आग में जॉन फोर्ड की हत्या की योजना बनाई गई. शोध में सामने आया कि एला के भाई ने दो नए नौकरों की मदद से यह कत्ल अंजाम दिया. यह कोई आवेश में की गई हत्या नहीं थी, बल्कि एक सोची-समझी “मिडिएवल माफिया हिट” थी — एक पादरी को मारकर अभिजात वर्ग ने चर्च को संदेश दिया कि उनका अपमान कोई नहीं कर सकता.

इतना ही नहीं, दस्तावेज बताते हैं कि जॉन फोर्ड, एला और उनके पति ने मिलकर एक जबरन वसूली गिरोह भी बनाया था। उन्होंने एक प्रायरी पर धावा बोल दिया, संपत्ति लूटी और यहां तक कि मवेशियों को भी बंधक बना ransom मांगा.

क्या फोर्ड खुद इस गिरोह का शिकार बने, या उन्होंने किसी राज को लीक किया, ये अभी भी सवाल हैं. लेकिन यह साफ है कि उनकी हत्या सिर्फ व्यक्तिगत बदले का हिस्सा नहीं थी, बल्कि चर्च की सत्ता को हिलाने की रणनीति भी थी।

“700 साल पहले भी होता था ऑनर किलिंग और संगठित अपराध”

प्रोफेसर आइजनर कहते हैं, “यह कहानी सिर्फ इतिहास नहीं, बल्कि आज की दुनिया का आईना है. हम सोचते हैं कि संगठित अपराध या ऑनर किलिंग आधुनिक अवधारणाएं हैं, लेकिन ये तो सदियों से हमारे समाज का हिस्सा रही हैं. यह घटना बताती है कि सत्ता, पहचान और इज्जत की लड़ाई हमेशा से चलती रही है और कई बार उसका अंत अंधेरे में चले खंजर से होता है.