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2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस मामले में HC ने 12 आरोपियों को किया बरी तो SC ने जताई आपत्ति

2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में नया मोड़ आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया गया था.

👤 Golu Dwivedi 24 Jul 2025 11:59 AM

2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में नया मोड़ आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया गया था. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के इस फैसले को कानूनी मिसाल (precedent) की तरह इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। हालांकि, शीर्ष अदालत ने आरोपियों की रिहाई पर रोक नहीं लगाई है.

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी महाराष्ट्र सरकार की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान आई, जिसमें हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी. मामले की सुनवाई जस्टिस एम. एम. सुंदरेश और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने की.

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया, 'चूंकि सभी आरोपी पहले ही रिहा हो चुके हैं, इसलिए उन्हें दोबारा जेल भेजने का सवाल नहीं उठता. लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील को ध्यान में रखते हुए, हम स्पष्ट करते हैं कि हाईकोर्ट का यह फैसला किसी अन्य मामले में मिसाल के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.'

SG तुषार मेहता की दलील

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह सिर्फ फैसले पर रोक की मांग कर रहे हैं, न कि आरोपियों की रिहाई को पलटने की. उन्होंने कहा, "कुछ कानूनी बिंदु हैं जो एमसीओका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज़्ड क्राइम एक्ट) ट्रायल को प्रभावित कर सकते हैं.

विस्फोट कैसे और कब हुए थे?

11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में 11 मिनट के भीतर 7 बम धमाके हुए थे, जिनमें 180 से ज्यादा लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हुए थे. सभी धमाके पहली क्लास के डिब्बों में हुए थे, जिनमें प्रेशर कुकर में बम लगाए गए थे. धमाके चर्चगेट से चलने वाली ट्रेनों में माटुंगा रोड, माहिम, बांद्रा, खार रोड, जोगेश्वरी, भायंदर और बोरीवली स्टेशनों के पास हुए थे.

कौन थे आरोपी?

2015 में एमसीओका की विशेष अदालत ने फ़ैसल शेख़, आसिफ ख़ान, कमाल अंसारी, एहतशाम सिद्दीकी और नावेद ख़ान को मौत की सजा सुनाई थी. जबकि मोहम्मद सज्जाद अंसारी, मोहम्मद अली, डॉ. तनवीर अंसारी, माजिद शफ़ी, मुज़म्मिल शेख़, सोहेल शेख़ और ज़मीर शेख़ को उम्रकैद की सजा मिली थी.