मध्य प्रदेश के उज्जैन में आज का दिन बेहद खास रहा. महाकालेश्वर की पवित्र नगरी में आयोजित सामूहिक विवाह सम्मेलन में न सिर्फ प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के बेटे डॉ. अभिमन्यु यादव ने सात फेरे लिए, बल्कि उनके साथ 21 अन्य जोड़ों ने भी एक साथ वैवाहिक जीवन की नई शुरुआत की. यह आयोजन न केवल सामाजिक समरसता का प्रतीक बना, बल्कि यह भी साबित हुआ कि बड़े परिवार भी परंपराओं और सरलता के साथ समाज के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकते हैं.
सुबह से ही उज्जैन के माहौल में उत्साह और उत्सव की गूंज थी. हल्दी-चूड़ी की खुशबू, डीजे की धुन और रिश्तेदारों की टोलियों ने माहौल को और भव्य बना दिया. जब डॉ. अभिमन्यु यादव घोड़ी पर सवार होकर सामूहिक विवाह स्थल पहुंचे, तो उनके दोस्तों और परिजनों ने ढोल-नगाड़ों के साथ उनका स्वागत किया. पूरा परिसर “अभिमन्यु भैया की जय!” के नारों से गूंज उठा.
दूल्हा बने अभिमन्यु और दुल्हन बनीं डॉ. इशिता यादव, जो खरगोन जिले के किसान दिनेश पटेल यादव की बेटी हैं—दोनों ही एमबीबीएस डॉक्टर हैं, और अभिमन्यु ने मास्टर ऑफ सर्जरी की डिग्री भी हासिल की है.
यह सामूहिक विवाह समारोह जितना अलग था, उतना ही भव्य भी. कार्यक्रम में प्रदेश सरकार के कई मंत्री, विधायक, सांसद और सामाजिक प्रतिनिधि उपस्थित रहे. बाबा रामदेव और पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की मौजूदगी ने समारोह की धार्मिक महत्ता को और बढ़ा दिया. सबकी निगाहें इस अनोखे दृश्य पर थीं जहां मुख्यमंत्री का बेटा उन्हीं पंक्तियों में बैठकर फेरे ले रहा था, जहां अन्य सामान्य परिवारों के लड़के-लड़कियां विवाह के लिए आए थे.
वरिष्ठ नेता नरेंद्र सिंह तोमर ने कार्यक्रम में शामिल होकर नवदंपतियों को आशीर्वाद दिया. उन्होंने कहा कि मोहन यादव ने समाज को एक नई दिशा दी है—जिसमें सरलता, एकता और सबके लिए समान अवसर का संदेश छिपा है. उन्होंने कहा, “आज सिर्फ मुख्यमंत्री के बेटे का नहीं, बल्कि 21 और परिवारों का घर बस रहा है. महाकाल सभी को खुश रखें.”
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री मोहन यादव ने गर्व से कहा कि महाकाल की नगरी में ऐसे आयोजन होना सौभाग्य की बात है. उन्होंने कहा, “आज यहां कोई बड़ा-छोटा नहीं है. कोई वेटर है, कोई ड्राइवर है, कोई किसान है. लेकिन आज ये सभी दूल्हा-दुल्हन हमारे लिए राजा-महाराजा के समान हैं.” उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास की भावना से आयोजित किया गया है.
अक्सर वीवीआईपी शादियों में भारी खर्च, विशेष व्यवस्था और अलग जगह देखने को मिलती है, लेकिन इस विवाह ने परंपरा को तोड़कर नया उदाहरण पेश किया. एक तरफ मुख्यमंत्री के बेटे की शादी थी, दूसरी ओर समाज के अलग-अलग समुदायों से आए 21 जोड़े—एक ही मंडप, एक ही हवनकुंड और एक ही मंत्रोच्चारण. यह आयोजन आने वाले वर्षों में सामाजिक एकता और समानता का संदेश देने वाली मिसाल के तौर पर याद किया जाएगा.
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