आईपीएल जीत के बाद रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) टीम की एक झलक पाने के लिए चिन्नास्वामी स्टेडियम में जमा भीड़ में बुधवार को भगदड़ मच गई। इसमें 11 लोगों की जान चली गई। अगले दिन, पीड़ितों के परिजनों ने सरकार और प्रशासन की लापरवाही पर सवाल उठाए।
14 साल की दिव्यांशी विराट कोहली की बहुत बड़ी फैन थी। वह अपनी मां अश्विनी के साथ स्टेडियम पहुंची थी। मां ने कहा, “वो विराट को करीब से देखना चाहती थी, लेकिन उसी ने उसकी जान ले ली।” दिव्यांशी 9वीं में पढ़ती थी, डांसर थी और पशु चिकित्सक बनना चाहती थी।
20 साल के मनोज कुमार बीबीए के छात्र थे। उनके पिता देवराज पानीपुरी बेचते हैं। उन्होंने बताया, "टीवी पर खबर देखी तो बेटे को फोन किया, किसी और ने उठाया। फिर पुलिस का फोन आया और अस्पताल बुलाया गया।" देवराज ने कहा, "सरकार कह रही है 10 लाख देगी, मैं 50 लाख देने को तैयार हूं... क्या वे मेरे बेटे को लौटा सकते हैं?"
22 साल के इंजीनियरिंग ग्रेजुएट प्रज्वल को आरसीबी से प्यार था। उनकी मां पवित्रा ने कहा, “मैंने मना किया था, लेकिन वह गया।” जब उन्हें अस्पताल ले जाया गया, तब अज्ञात शवों में उनका बेटा भी था। मां बोलीं, "जब वह घर पर सोता था, तब उसका शव वहां रखा था। सरकार ने मेरे बेटे को मार डाला।"
26 साल के पूर्ण चंद्र मैसूर में इंजीनियर थे और स्टेडियम जाने से पहले एक लड़की से मिलने आए थे, जिससे उनका विवाह तय हो रहा था। उनके पिता ने कहा, "हमें नहीं पता था कि वो स्टेडियम गया। शाम को खबर मिली कि वह नहीं रहा।"
19 साल की इंजीनियरिंग छात्रा चिन्मयी को क्रिकेट में ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन वह सहेलियों के साथ स्टेडियम गई थी। पिता करुणाकर बोले, "उसने दोपहर को बताया कि वह जा रही है। शाम को खबर आई कि वह मर चुकी है। मुआवजा नहीं चाहिए, मुझे मेरी बेटी चाहिए।"
17 साल का शिवलिंगु यादगीर से बेंगलुरु अपना स्कूल ट्रांसफर सर्टिफिकेट लेने आया था। काम खत्म करने के बाद वह स्टेडियम चला गया। शाम को परिजनों को खबर मिली कि वह भगदड़ में मारा गया। उसके पिता ने कहा, "मैं टीवी देख रहा था और सोच रहा था ये लोग वहां क्यों गए, तब नहीं पता था कि मेरा बेटा भी उन्हीं में था।"
19 साल का भौमिक बिना बताए दोस्तों के साथ स्टेडियम गया था। दोपहर में उसने मां को वीडियो कॉल की थी, लेकिन बाद में संपर्क नहीं हो पाया। पिता लक्ष्मण ने कहा, "अगर समय पर इलाज मिला होता तो मेरा बेटा बच सकता था। ये सरकार और एजेंसियों की लापरवाही है।"