बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन की ही नहीं, बल्कि उनके परिवार की कहानी भी हमेशा लोगों के लिए दिलचस्प रही है. हालांकि, अमिताभ के छोटे भाई अजिताभ बच्चन ने हमेशा फिल्मी चमक-दमक से दूरी बनाए रखी और सोशल मीडिया पर भी वे अपनी अलग पहचान रखते हैं. हाल ही में उन्होंने एक इंटरव्यू में परिवार के सरनेम के पीछे की दिलचस्प कहानी साझा की.
अजिताभ ने बताया कि परिवार का उपनाम “बच्चन” पहली बार उनके पिता, मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन की मां ने रखा था. उनके अनुसार, हिंदी में बच्चन का अर्थ होता है “बच्चा”. मां उन्हें प्यार से “बच्चनवा” कहकर बुलाया करती थीं. इस सरल और स्नेहिल उपनाम ने धीरे-धीरे परिवार की पहचान में अपना स्थान बना लिया.
अजिताभ ने आगे बताया कि पिता हरिवंश राय बच्चन को यह नाम इतना पसंद आया कि उन्होंने इसे अपने साहित्यिक लेखन में इस्तेमाल करना शुरू किया. इसके बाद जब अमिताभ का स्कूल में एडमिशन हुआ, तो पेन नेम “बच्चन” को स्कूल रिकॉर्ड में भी अपनाया गया. इस कदम ने पारिवारिक सरनेम के तौर पर “बच्चन” को स्थापित किया और जाति से जुड़े पुराने सरनेम “श्रीवास्तव” को धीरे-धीरे हटा दिया गया.
इस पहल से न सिर्फ एक नई पहचान बनी, बल्कि परिवार. ने जाति आधारित पहचान को जानबूझकर नकारते हुए एक आधुनिक और सुसंस्कृत पहचान की नींव रखी. अजिताभ ने इस बारे में बताया कि यह फैसला उनके पिता की सोच और उनके साहित्यिक दृष्टिकोण का हिस्सा था, जिसने परिवार की संस्कृति और मूल्यों को नया आयाम दिया.
अजिताभ बच्चन अमिताभ से पांच साल छोटे हैं और दोनों ने उत्तराखंड के शेरवुड कॉलेज से पढ़ाई की हालांकि करियर के मोर्चे पर दोनों ने अलग राह चुनी. जहां अमिताभ ने फिल्मी दुनिया में चमक बिखेरी, वहीं अजिताभ ने बिजनेस की दुनिया में खुद को साबित किया.
अजिताभ बच्चन की यह खुलासे भरी बातें न सिर्फ परिवार के इतिहास को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी बताती हैं कि कैसे छोटे-छोटे निर्णय परिवार की पहचान और विरासत को नई दिशा दे सकते हैं.
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