Som Pradosh Vrat 2025: हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को पड़ने वाला प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित माना जाता है. यह व्रत शिव कृपा पाने और जीवन की बाधाओं को दूर करने वाला एक प्रभावी उपवास है. इस बार मार्गशीर्ष महीने का पहला प्रदोष व्रत सोमवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा. आइए जानें इसकी तिथि, मुहूर्त, महत्व और उपायों के बारे में विस्तार से.
पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष (अगहन) महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि
शुरुआत: 17 नवंबर को सुबह 04:47 बजे समापन: 18 नवंबर को सुबह 07:12 बजे
चूंकि 17 नवंबर को पूरे दिन त्रयोदशी तिथि मिल रही है, इसलिए सोम प्रदोष व्रत 17 नवंबर 2025 को ही रखा जाएगा. पूजा का शुभ समय: शाम 05:27 बजे से 08:07 बजे तक. यह समय प्रदोष काल माना जाता है और इसी दौरान भगवान शिव की पूजा सबसे फलदायी होती है.
सोम प्रदोष व्रत, सोमवार को पड़ने वाला प्रदोष, अत्यंत शुभ माना जाता है. इसे सर्व सिद्धि प्रदायक व्रत कहा गया है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से-
सौभाग्य और वैवाहिक सुख बढ़ता है. संतान के लिए शुभ फल मिलता है. आर्थिक स्थिति मजबूत होती है. घर में शांति और सौहार्द बना रहता है. चंद्र दोष और मानसिक तनाव से राहत मिलती है. नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सकारात्मकता बढ़ती है.
भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा इस व्रत से प्राप्त होती है.
1. गृह क्लेश दूर करने के लिए उपाय: सोम प्रदोष के दिन शिव जी को दही और शहद मिला हुआ भोग लगाएं. इससे परिवार में शांति बनी रहती है और कलह कम होता है.
2. स्वास्थ्य लाभ के लिए उपाय: किसी शिव मंदिर में नारियल दान करें. माना जाता है कि इससे रोग से राहत मिलती है और स्वास्थ्य बेहतर होता है.
3. व्यवसाय में प्रगति के लिए उपाय: तीन मिट्टी के दीपक लेकर उसमें पीली सरसों, तिल, नमक और साबुत धनिया डालकर जलाएं. इन दीपकों को दुकान या व्यापार स्थल के पास रखें। इससे रुकावटें दूर होती हैं और व्यापार में वृद्धि होती है.
4. शिव कृपा पाने के लिए अभिषेक: शिवलिंग पर इन चीजों से अभिषेक करें- जल, कच्चा दूध, दही, शहद और गंगाजल. इसके बाद बिल्वपत्र, सफेद फूल, चंदन और धूप-दीप अर्पित करें. कम से कम 108 बार “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें.
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