Krishna Janmashtami 2025 : भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संगम जब आता है, तब पूरे भारत में एक अद्भुत उल्लास फैल जाता है. यह अवसर है भगवान विष्णु के आठवें अवतार, श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का. 2025 में, जन्माष्टमी का पर्व न केवल मंदिरों में बल्कि घर-घर में भक्ति, संगीत और प्रेम की लहरें बिखेरेगा.
कृष्ण जन्माष्टमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह सत्य, धर्म और निस्वार्थ प्रेम के संदेशों को याद करने का समय है. इस दिन, भक्त अपने घरों और मंदिरों को फूलों, दीपों और झांकियों से सजाते हैं, साथ ही मध्यरात्रि को जन्म महोत्सव मनाते हैं.
श्रीकृष्ण के जन्म की घड़ी आते ही मंदिरों में शंखनाद और घंटियों की गूंज होती है. आधी रात को भगवान का जन्मोत्सव मनाकर, प्रसाद वितरण होता है और भजन-कीर्तन से वातावरण पवित्र हो जाता है. इसके बाद, दही-हांडी का रंग-बिरंगा उत्सव शुरू होता है, जहां युवाओं की टोली माखन और दही की मटकी फोड़कर कान्हा की लीलाओं को जीवंत करती है.
जन्माष्टमी पर अपने प्रियजनों को शुभकामनाएं देना, इस त्यौहार की मिठास को और बढ़ा देता है. व्हाट्सऐप, फेसबुक या ग्रीटिंग कार्ड के माध्यम से भेजे गए संदेश, दिलों को जोड़ते हैं और उत्सव की भावना को दूर-दूर तक पहुंचाते हैं.
"कान्हा की बंसी की मधुर तान, भर दे जीवन में खुशियों की जान।" "राधा-कृष्ण के प्रेम जैसा पवित्र हो आपका जीवन।" "कृष्ण की मुरली की मधुर धुन, आपके घर लाए सुख-संपन्नता।" "माखन-मिश्री सी मिठास, और कृष्ण नाम का विश्वास— यही जन्माष्टमी का उपहार है।" "मथुरा की गलियों से आए शुभ समाचार, कान्हा के जन्म से रोशन हो संसार।"
जन्माष्टमी केवल उत्सव नहीं, बल्कि जीवन जीने की प्रेरणा भी है. कृष्ण की लीलाएं सिखाती हैं कि प्रेम में निस्वार्थ भाव होना चाहिए, और धर्म के मार्ग पर चलना ही सच्चा सुख है.
जब हम जन्माष्टमी पर भक्ति में डूब जाते हैं, तब न केवल हमारे घर रोशनी से भर जाते हैं, बल्कि मन भी शांति और आनंद से भर उठता है.
कृष्ण जन्माष्टमी 2025, भक्ति और आनंद का अद्वितीय संगम है. चाहे आप मंदिर जाएं, घर पर पूजा करें या सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं भेजें- इस पर्व की सच्ची भावना है प्रेम, एकता और सद्भावना फैलाना. इस बार जन्माष्टमी पर, कान्हा के नाम का स्मरण करते हुए अपने जीवन में खुशी, शांति और सकारात्मकता का दीप जलाएं.
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