Gold in Feet: सोना दुनिया की सबसे कीमती और आकर्षक धातुओं में से एक माना जाता है. लोग इसे हार, अंगूठी, कंगन और झुमके जैसी गहनों के रूप में पहनना पसंद करते हैं. सोना शुभता, सम्मान और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. लेकिन हर जगह सोना पहनना सही नहीं माना गया है. विशेषकर पैरों में सोना पहनना धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार वर्जित माना जाता है. नीचे हम आसान भाषा में समझते हैं कि पैरों में सोना पहनना क्यों अनुचित है.
हिंदू मान्यताओं में सोना माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. सोने का सम्मान घर में धन और समृद्धि लाता है. सोना पहनने से सौभाग्य और सुख-समृद्धि बढ़ती है. लेकिन पैरों में सोना पहनना माता लक्ष्मी का अनादर माना जाता है. पैर शरीर का सबसे निचला हिस्सा हैं, इसलिए पैरों में सोना पहनने से शुभता कम हो सकती है. यही कारण है कि महिलाएं पैरों में चांदी की पायल या बिछुए पहनती हैं, सोना नहीं.
धार्मिक मान्यता के अनुसार पैरों में सोना पहनने से माता लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं. घर में धन का आगमन रुक सकता है. आर्थिक परेशानियां बढ़ सकती हैं. इसलिए पारंपरिक रूप से पैरों में सोने की जगह चांदी का उपयोग किया जाता है. चांदी को शांति, चंद्रमा और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है.
ज्योतिष शास्त्र में सोना गुरु ग्रह (बृहस्पति) से जुड़ा माना जाता है. बृहस्पति ज्ञान, सम्मान, धन और भाग्य के कारक होते हैं. सोना पहनने से गुरु मजबूत होते हैं. लेकिन पैरों में सोना पहनने से गुरु ग्रह कमजोर पड़ सकते हैं. अगर गलती से कोई पैरों में सोना पहन ले, तो गुरु दोष शांत करने के लिए पूजा या हवन करने की सलाह दी जाती है.
धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से पैरों में सोना पहनना शुभ नहीं माना जाता. ये माता लक्ष्मी का अपमान माना जाता है. आर्थिक समस्याएं बढ़ सकती हैं. गुरु ग्रह के शुभ प्रभाव पर नकारात्मक असर पड़ सकता है.
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