पंजाब सरकार ने स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा और अहम कदम उठाया है. राज्य में डॉक्टरों और डेंटल शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की उम्र अब 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दी गई है. यह फैसला पंजाब डेंटल एजुकेशन (ग्रुप-ए) सेवा नियम, 2016 के तहत लिया गया है. सरकार का यह कदम मेडिकल शिक्षा के स्तर को सुधारने और अनुभवी शिक्षकों का लाभ लंबे समय तक उठाने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास माना जा रहा है.
वित्त विभाग (एफ.डी.) के अधीन इस फैसले को मेडिकल शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग की सिफारिशों के आधार पर मंजूरी दी गई है. इससे पहले यह सुविधा केवल मेडिकल टीचिंग फैकल्टी को उपलब्ध थी, लेकिन अब डेंटल टीचिंग फैकल्टी को भी इसका लाभ मिलेगा.
सरकार ने स्पष्ट किया है कि अमृतसर और पटियाला के सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में पहले से ही मेडिकल टीचिंग फैकल्टी की सेवानिवृत्ति की उम्र 65 साल निर्धारित है. अब इसी नीति को डेंटल फैकल्टी पर भी लागू कर दिया गया है. इससे इन संस्थानों में अनुभवी डेंटल शिक्षक और डॉक्टर लंबे समय तक अपनी सेवाएं दे सकेंगे.
सरकार ने यह फैसला इस उद्देश्य से लिया है कि उच्च प्रशिक्षित और अनुभवी डेंटल फैकल्टी का कौशल छात्रों और संस्थानों के लिए और अधिक वर्षों तक उपलब्ध रहे. इससे न सिर्फ चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ेगी, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की मजबूती में भी मदद मिलेगी.
पंजाब सरकार का यह कदम स्वास्थ्य और शिक्षा दोनों क्षेत्रों में मजबूती लाने की दिशा में अहम माना जा रहा है. डेंटल फैकल्टी को मिलने वाले इस विस्तार से सरकारी संस्थानों की शिक्षण व्यवस्था में स्थायित्व आएगा और योग्य डॉक्टरों की कमी को भी कुछ हद तक पूरा किया जा सकेगा.