पंजाब की लैंड पूलिंग नीति को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने इस नीति पर फिलहाल रोक लगा दी है। यह फैसला उस याचिका पर सुनवाई के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि पंजाब सरकार की यह नीति भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के नियमों का उल्लंघन करती है।
दरअसल, पंजाब सरकार ने हाल ही में एक लैंड पूलिंग पॉलिसी लागू की थी। इस नीति के तहत सरकार जमीन को जबरन अधिग्रहित करने की बजाय किसानों से जमीन “पूल” कर रही थी, यानी किसानों की जमीन को इकट्ठा करके विकास कार्यों के लिए उपयोग करने का प्रस्ताव था। बदले में किसानों को विकास के बाद प्लॉट और अन्य सुविधाएं देने की योजना बनाई गई थी।
हालांकि, कुछ किसानों और सामाजिक संगठनों ने इस नीति पर सवाल उठाए और इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। याचिका में कहा गया कि इस नीति को लागू करते समय सरकार ने सामाजिक प्रभाव आकलन (Social Impact Assessment) नहीं किया। यानी जिन लोगों की जमीन ली जा रही थी, उनके जीवन और आजीविका पर इसका क्या असर पड़ेगा, इसका कोई अध्ययन या सर्वेक्षण नहीं कराया गया।
याचिकाकर्ता ने कहा कि लैंड पूलिंग से सीधे तौर पर गरीब किसान, भूमिहीन मजदूर और खेती पर निर्भर लोग प्रभावित हो रहे हैं। उनकी बात सुने बिना और बिना कोई वैकल्पिक व्यवस्था किए सरकार ने नीति लागू कर दी, जो कि गलत है।
पंजाब सरकार की ओर से महाधिवक्ता (एडवोकेट जनरल) ने दलील दी कि यह लैंड पूलिंग है, भूमि अधिग्रहण नहीं, और इसमें किसानों की सहमति ली जा रही है। लेकिन कोर्ट ने इन दलीलों को स्वीकार नहीं किया।
कोर्ट ने माना कि जमीन से जुड़े लोगों के हितों की अनदेखी की गई है और सरकार ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के नियमों का पालन नहीं किया। इसलिए जब तक मामले की पूरी जांच और सुनवाई नहीं हो जाती, इस नीति पर रोक लगाई जाती है।
इस फैसले के बाद पंजाब सरकार को झटका लगा है और किसानों को राहत मिली है। अब यह देखना होगा कि आगे की सुनवाई में कोर्ट क्या अंतिम निर्णय लेता है और सरकार इस नीति में क्या बदलाव करती है।