बिहार के नवादा जिले से एक बेहद चौंकाने वाला साइबर फ्रॉड सामने आया है. यहां एक गैंग ने महिलाओं को मां बनने का सपना दिखाकर लोगों को करोड़ों की चपत लगा दी. सोशल मीडिया पर विज्ञापन डालकर यह गिरोह दावा करता था कि वह उन महिलाओं को गर्भवती करेगा जो वर्षों से संतान सुख से वंचित हैं, और इसके बदले उन्हें 5 लाख रुपये इनाम भी मिलेगा. इस ‘प्रेग्नेंसी फ्रॉड स्कीम’ के जाल में देशभर के सैकड़ों लोग फंस चुके हैं.
गिरोह ने खुद को एक ‘प्रोफेशनल सर्विस प्रोवाइडर’ बताकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर “All India Pregnant Job” नाम से फर्जी कंपनी चला रखी थी. विज्ञापनों में दावा किया जाता था कि वे हाई-टेक मेडिकल तकनीकों से नि:संतान महिलाओं को प्रेग्नेंट कर सकते हैं. बदले में रजिस्ट्रेशन फीस, प्रोसेसिंग चार्ज और “सेवा शुल्क” के नाम पर पीड़ितों से 25 हजार से लेकर 2 लाख रुपये तक वसूले जाते थे.
पुलिस ने जिन मोबाइलों को जब्त किया है, उनमें एक ऐसा वीडियो मिला है जिसमें एक युवती कैमरे के सामने बोलती दिख रही है- “हमारी सेवा से जुड़िए और जीवन में नया बदलाव पाइए…”. इसे वाट्सएप, फेसबुक और इंस्टाग्राम के जरिये वायरल किया जाता था। कई महिलाओं ने इस प्रचार पर भरोसा कर पैसा भी भेजा. लेकिन न कोई मेडिकल सुविधा मिली, न कोई ट्रैकिंग नंबर.
नवादा जिले के रोह थाना क्षेत्र के कुंज गांव में की गई छापेमारी में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. जिनमें से तीन नाबालिग हैं. इन सभी को एक युवक राजेश कुमार (26) संचालित कर रहा था, जो एक पूर्व फौजी के बेटे हैं। पुलिस के मुताबिक असली मास्टरमाइंड अभी फरार है, जो पूरे नेटवर्क को रीमोट से संचालित करता था.
नौकरी का झांसा और फ्री लैपटॉप का प्रलोभन गिरोह का काम सिर्फ यहीं नहीं रुका. उसने देश की टॉप टेलीकॉम कंपनियों में “वर्क फ्रॉम होम” जॉब का झांसा भी दिया। छात्रों, हाउसवाइव्स और बेरोजगार युवाओं को कॉलिंग और मैसेज सेंडिंग की नौकरी का लालच देकर उनसे रजिस्ट्रेशन, मोबाइल खरीद और ऐप एक्टिवेशन के नाम पर पैसे ऐंठे गए। फर्जी वादों में फ्री लैपटॉप और मोबाइल फोन की बात भी की गई थी.
सीनियर डीएसपी प्रिया ज्योति के नेतृत्व में बनी स्पेशल टीम (SIT) ने गृह मंत्रालय के पोर्टल से मिले मोबाइल नंबरों को ट्रैक करते हुए यह पूरा ऑपरेशन चलाया. तकनीकी सर्विलांस और ह्यूमन इंटेलिजेंस की मदद से आरोपियों की लोकेशन ट्रेस कर छापेमारी की गई. केस में कुल 8 लोगों को नामजद किया गया है, जिनमें सरगना अब भी फरार है.
पुलिस ने लोगों से अपील की है कि ऐसे किसी भी अवैज्ञानिक, अवास्तविक या चमत्कारी विज्ञापन से सतर्क रहें और किसी अजनबी को पैसे न भेजें. यह पूरा मामला साइबर थाना में IT एक्ट और धोखाधड़ी की धाराओं के तहत दर्ज किया गया है.