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मां को खाना देने गया आकाश और लौटकर कभी नहीं आया... ऑटो ड्राइवर ने कहा- बेटा था मेरा, कोई लौटा सकता है क्‍या?

Ahmedabad Plane Crash: 12 जून 2025 की दोपहर, अहमदाबाद का आकाश चीख पड़ा जब एयर इंडिया की लंदन जाने वाली फ्लाइट AI-171 उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद भीषण हादसे का शिकार हो गई.

👤 Sagar 13 Jun 2025 05:18 PM

Ahmedabad Plane Crash: 12 जून 2025 की दोपहर, अहमदाबाद का आकाश चीख पड़ा जब एयर इंडिया की लंदन जाने वाली फ्लाइट AI-171 उड़ान भरने के कुछ ही मिनट बाद भीषण हादसे का शिकार हो गई. विमान में सवार 241 लोग तो मारे ही गए, लेकिन हादसे की आग ने ज़मीन पर मौजूद मासूमों को भी नहीं बख्शा. उन्हीं में से एक था 15 साल का आकाशभाई पाटनी, जो अपनी मां की चाय की रेहड़ी के पास खाट पर सो रहा था. यह हादसा केवल तकनीकी विफलता नहीं, बल्कि कई परिवारों की ज़िंदगी को बिखेर देने वाली मानवीय त्रासदी बन गया.

15 साल का आकाश, जिसे अपनी मां के हाथ की बनी रोटी बेहद पसंद थी, उस दिन भी दोपहर का खाना लेकर उनकी चाय की रेहड़ी पर पहुंचा था. मां चाय पिला रही थीं, बेटा वही खटिया पर लेटा था. लेकिन किसी को क्या खबर थी कि चंद मिनट बाद आसमान से गिरने वाला एक जलता हुआ विमान, इस मासूम की ज़िंदगी को राख में बदल देगा.

जब विमान ज़मीन से टकराया, तो एक धमाका हुआ... और आकाश चला गया. इतना गया कि उसकी मां अब अस्पताल में ज़िंदा होकर भी मर रही हैं. जल चुकी हैं... शरीर भी, आत्मा भी. मां ICU में है, बेटा पोस्टमार्टम रूम में सिर्फ कुछ मीटर की दूरी, लेकिन कोई फासला नहीं जो इतना भारी हो सकता है.

मेरा बेटा कोई लौटा सकता है क्या?

पिता सूरज... ऑटो छोड़कर जब दौड़े थे घटनास्थल की ओर, तो सिर्फ इसलिए कि बेटा होगा, संभाल लेंगे. लेकिन वहां सिर्फ राख थी, और राख से उठता धुआं... जो अब उनके दिल से उठता है हर सांस के साथ. कह नहीं पा रहे, लेकिन आंखें चीख-चीख कर कह रही थीं. “बेटा था मेरा, लौटाओ... कोई लौटा सकता है क्या?”

घर की गली, जहां आकाश की साइकिल चलती थी, आज वहां चुप्पी है. उसके स्कूल बैग में रखे पेन अब कभी नहीं चलेंगे. उसकी किताबें अब धूल खा रही हैं और मां... मां सिर्फ यही देखती हैं. खाली खटिया, जहां बेटा आखिरी बार लेटा था. यह सिर्फ एक विमान हादसा नहीं था. यह एक ऐसी कहानी है जिसमें मां-बेटे के बीच की दूरी, अब जीवन और मृत्यु के बीच है. पिता की हिम्मत अब सिर्फ एक तस्वीर है, और भाई-बहनों के लिए वह चेहरा जिसे वो कभी भूल नहीं पाएंगे. इस हादसे ने साबित किया कि ज़िंदगी में कोई अलार्म नहीं होता, जो कहे कि ये तुम्हारी आखिरी नींद है.