मैनचेस्टर टेस्ट मैच भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक यादगार वापसी के तौर पर दर्ज हो गया है. इंग्लैंड ने भले ही मैच की पहली तीन पारियों में पूरी पकड़ बनाए रखी हो, लेकिन अंतिम दिन भारत की जिद और संयम ने मुकाबले को ड्रा की ओर मोड़ दिया. 0 पर दो विकेट गंवाने और 311 रन से पिछड़ने के बाद भारत ने जिस अंदाज़ में वापसी की, वह किसी टेस्ट क्लासिक से कम नहीं था.
इस मुकाबले में शुभमन गिल, केएल राहुल, रवींद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर की पारियों ने न सिर्फ मैच बचाया, बल्कि इंग्लैंड को मानसिक रूप से भी झकझोर दिया. हालांकि, अंतिम घंटे में इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स के समय से पहले ड्रॉ के प्रस्ताव को ठुकराए जाने से जो विवाद खड़ा हुआ, उसने एक बार फिर खेल भावना और प्रतिस्पर्धा के बीच की रेखा को चर्चा में ला दिया.
जब भारत 0/2 के स्कोर पर था और विशाल 311 रनों के घाटे में था, तब शुभमन गिल (103) और केएल राहुल (90) ने पारी को संभालते हुए इंग्लैंड की उम्मीदों को झटका दिया। इसके बाद रवींद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर ने शतक जमाकर यह सुनिश्चित कर दिया कि मुकाबला भारत हार नहीं रहा है.
भारतीय बल्लेबाजों ने न सिर्फ टिककर बल्लेबाज़ी की, बल्कि इंग्लैंड को विकेट के लिए तरसा दिया। मैदान पर 140 ओवर तक खड़े रहने के बाद इंग्लैंड के खिलाड़ी थक गए और उनका धैर्य जवाब देने लगा.
मैच के अंतिम घंटे में जब भारतीय बल्लेबाज अच्छी लय में थे और गेंदबाजों पर दबदबा बना चुके थे, तब बेन स्टोक्स ने खेल को समय से पहले समाप्त करने का प्रस्ताव रखा. लेकिन जडेजा और सुंदर ने इसे ठुकरा दिया. इससे नाराज होकर स्टोक्स ने तंज कसते हुए कहा, 'क्या जडेजा को हार्री ब्रूक और बेन डकेट जैसे पार्ट-टाइम बॉलर्स के खिलाफ शतक बनाने में मजा आ रहा है? बाद में स्टोक्स ने यह भी कहा कि "10-11 रन अतिरिक्त बना लेने से जडेजा और सुंदर की शानदार बल्लेबाज़ी की अहमियत कम नहीं होती.
इंग्लैंड के पूर्व कप्तान एलिस्टेयर कुक ने स्टोक्स के बयान से असहमति जताते हुए कहा, 'यह भारत के लिए सही फैसला था। वे इससे जो आत्मविश्वास और लय लेंगे, वह सीरीज में आगे काम आएगी. जब आप 140 ओवर मैदान पर होते हैं, तो निराशा होना स्वाभाविक है. कुक ने यह भी कहा कि इंग्लैंड की बौखलाहट इस कदर थी कि उन्होंने गेंदबाज़ी का मज़ाक बना दिया. हार्री ब्रूक ने ऐसी गेंदें फेंकीं जिन्हें ‘लॉलीपॉप’ कहा जा सकता है – न लाइन, न लेंथ। लेकिन कुक ने दो टूक कहा कि "पांच साल बाद लोग सिर्फ इन शतकों को याद रखेंगे, ब्रूक की 37mph की गेंदों को नहीं.
इस मैच ने एक बार फिर दिखा दिया कि टेस्ट क्रिकेट सिर्फ स्कोर नहीं, सोच और साहस का खेल है. भारत ने इंग्लैंड की हर रणनीति को धैर्य से जवाब देते हुए मुकाबला अपने पक्ष में मोड़ दिया. इस ड्रा ने न केवल भारत की लड़ने की क्षमता को उजागर किया, बल्कि इंग्लैंड को भी यह एहसास कराया कि मुकाबला अंतिम गेंद तक खेलना चाहिए.