भारत में चाय केवल एक पेय नहीं, बल्कि एक भावना है. चाहे सुबह की नींद खोलनी हो, दोपहर की थकान मिटानी हो या दोस्तों के साथ गपशप का बहाना चाहिए – चाय हर मौके पर साथ निभाती है. लगभग हर गली-मोहल्ले में आपको चाय के दीवाने मिल जाएंगे, जो दिन में कई बार इसकी चुस्की लेना पसंद करते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि चाय का असली स्वाद किस बात पर निर्भर करता है? इसका जवाब है – चाय बनाने का तरीका और खासकर उसमें इस्तेमाल किया गया दूध.
दूध, चाय के रंग, स्वाद और गाढ़ेपन को तय करता है. आमतौर पर घरों में जो चाय बनाई जाती है, उसमें दूध पहले से उबालकर रखा जाता है. कई बार तो इसे दोबारा उबालकर चाय में मिलाया जाता है, जिससे उसका टेक्सचर हल्का और पतला हो जाता है. खासकर जब दूध में पानी मिलाया जाता है, तो चाय का स्वाद और रंग दोनों फीके हो जाते हैं.
इसके उलट, अगर पाश्चुरीकृत दूध को बिना दोबारा उबाले सीधे चाय में इस्तेमाल किया जाए, तो उसका गाढ़ापन बना रहता है. इस दूध से बनी चाय ज्यादा क्रीमी, स्वादिष्ट और खुशबूदार होती है. यानी, अगर आप चाय में असली स्वाद चाहते हैं तो दूध को ज्यादा बार न पकाएं और पानी की मात्रा भी संतुलित रखें.
हर कोई अपने तरीके से चाय बनाता है, लेकिन ब्रिटिश स्टैंडर्ड इंस्टिट्यूशन (BSI) ने चाय बनाने की एक स्टैंडर्ड प्रक्रिया बताई है. इसके अनुसार:
1. दो बर्तन लें – एक में दूध और दूसरे में पानी गर्म करें.
2. पानी में चायपत्ती और हल्की चीनी डालें. चाहें तो अदरक, इलायची या लौंग भी मिला सकते हैं.
3. जब चायपत्ती अच्छे से उबल जाए, तब उसमें उबला दूध मिलाएं.
4. एक और उबाल आने के बाद चाय को छान लें.
इस तरह चाय का स्वाद संतुलित रहता है और उसकी खुशबू भी बनी रहती है.
आज के दौर में चाय सिर्फ एक स्वाद नहीं, बल्कि एक सेहतमंद विकल्प भी बन चुकी है. बाजार में आपको कई तरह की चाय मिलेंगी:
ब्लैक टी – एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर, दिल के लिए फायदेमंद.
ग्रीन टी – वजन कम करने और डाइजेशन सुधारने में मददगार.
माचा टी – न्यूट्रिशन से भरपूर, शरीर को डिटॉक्स करती है.
हर्बल टी – आयुर्वेदिक गुणों से युक्त, तनाव और थकान दूर करती है.
हर चाय की अपनी एक अलग पहचान और फायदा होता है.