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क्या आप जानते हैं 2025 में छठ पूजा किस तारीख को है? पूरी जानकारी यहां पढ़ें

Chhath Puja 2025 Calendar : छठ पूजा एक चार दिवसीय आस्था का पर्व है, जो सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है. यह दिवाली के छह दिन बाद मनाया जाता है और इसमें व्रती संतान की सुख-समृद्धि के लिए कठिन व्रत रखती हैं. 2025 में कब है आइए जानते हैं-

👤 Samachaar Desk 31 Jul 2025 01:06 PM

Chhath Puja 2025 Calendar : छठ पूजा न सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि प्रकृति, स्वच्छता और अनुशासन का उत्सव भी है. यह पर्व हर साल दिवाली के छह दिन बाद मनाया जाता है और सूर्य देव तथा उनकी बहन छठी मैया को समर्पित होता है. छठ पूजा की शुरुआत वैदिक युग से मानी जाती है, जिसका उल्लेख रामायण और महाभारत जैसे ग्रंथों में भी मिलता है. आज यह पर्व मुख्यतः बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है.

छठ पूजा 2025 की तारीखें

छठ पूजा चार दिनों तक मनाया जाने वाला पर्व है, जिसकी शुरुआत नहाय खाय से होती है और समापन उषा अर्घ्य के साथ होता है.

नहाय खाय: 25 अक्टूबर 2025, शनिवार खरना: 26 अक्टूबर 2025, रविवार संध्या अर्घ्य: 27 अक्टूबर 2025, सोमवार (सूर्यास्त: 05:40 PM) उषा अर्घ्य: 28 अक्टूबर 2025, मंगलवार (सूर्योदय: 06:30 AM)

छठ पूजा का विस्तृत आयोजन

पहला दिन: नहाय खाय

इस दिन व्रती पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और एक बार शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं. यह दिन आत्मशुद्धि और नियमों के पालन की शुरुआत मानी जाती है.

दूसरा दिन: खरना

व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ की खीर और रोटी का प्रसाद बनाकर छठी मैया को अर्पित करते हैं. इसके बाद व्रती केवल प्रसाद ग्रहण करते हैं और अगला 36 घंटे का निर्जल व्रत प्रारंभ होता है.

तीसरा दिन: संध्या अर्घ्य

इस दिन व्रती अपने परिवार और समाज के साथ नदी या तालाब किनारे एकत्र होकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते हैं. पूजा की सभी सामग्रियां बांस की टोकरियों में सजाई जाती हैं.

चौथा दिन: उषा अर्घ्य

अंतिम दिन व्रती उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और अपने व्रत का पारण करते हैं. इसके साथ ही छठ का समापन होता है.

मान्यताएं और ऐतिहासिक जुड़ाव

छठ पूजा को सूर्य षष्ठी, डाला छठ और प्रतिहार जैसे नामों से भी जाना जाता है. मान्यता है कि सूर्य की उपासना से संतान सुख, दीर्घायु और परिवार में समृद्धि प्राप्त होती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, सीता ने मुंगेर में यह पूजा की थी और कर्ण इसका पालन नियमित रूप से करते थे. द्रौपदी ने भी इसे अपनाकर संकटों से मुक्ति पाई.

एक समर्पणमय त्योहार

छठ पूजा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा को संयमित करने वाला पर्व है. इसमें न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूकता है, बल्कि सूर्य की वैज्ञानिक उपादेयता को भी सम्मान दिया गया है.

तो इस छठ पूजा 2025, प्रकृति, परंपरा और विश्वास के इस महान पर्व में शामिल होकर सकारात्मक ऊर्जा से भर जाइए.