ब्रिटेन के दक्षिणपंथी कार्यकर्ता टॉमी रॉबिन्सन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने ब्रिटिश पाकिस्तानी समुदाय में कजिन मैरिज (रिश्तेदारों से शादी) को लेकर विवादास्पद टिप्पणी की है. इस वीडियो ने यूके में जन्म दोषों को लेकर समुदाय विशेष पर आरोप मढ़ते हुए न केवल गुस्सा भड़काया है, बल्कि जातीय और धार्मिक विभाजन को भी हवा दी है.
रॉबिन्सन ने दावा किया कि ब्रैडफोर्ड में 76% पाकिस्तानी अपनी फर्स्ट कजिन से शादी करते हैं और इसी कारण ब्रिटेन में जन्म लेने वाले ‘विकलांग बच्चों’ की संख्या बढ़ रही है. उन्होंने यहां तक कह डाला, “यह सब मुहम्मद के कारण है जिन्होंने सातवीं सदी में अपनी कजिन से शादी की थी... अब ये ब्रिटेन में नहीं चल सकता.
टॉमी रॉबिन्सन का दावा कि 'ये बच्चे रिटार्डेड पैदा हो रहे हैं, वीडियो में रॉबिन्सन ने कहा कि 'वे जन्म से ही मंदबुद्धि हैं. हमें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ रही है... अरबों-खरबों, क्योंकि मुहम्मद ने अपनी चचेरी बहन से शादी की थी. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ब्रिटेन की 3% पाकिस्तानी आबादी 33% जेनेटिक बर्थ डिफेक्ट्स के लिए जिम्मेदार है और यह देश की हेल्थकेयर प्रणाली पर भारी बोझ बन रही है.
वीडियो के वायरल होते ही सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई. जहां कुछ लोगों ने उनका समर्थन किया, वहीं बड़ी संख्या में यूजर्स ने इसे नस्लभेदी और भड़काऊ बताया. एक यूजर ने लिखा कि 'यह विकृत आंकड़ों और खुले नस्लवाद का मिश्रण है... जागरूकता पर ध्यान दें, नफ़रत पर नहीं. Grok AI के फैक्ट-चेक के मुताबिक, रॉबिन्सन का 76% वाला आंकड़ा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है. 'Born in Bradford' स्टडी में 2007-2010 के बीच करीब 60% विवाह कजिन्स में हुए थे, जो 2016-2019 में घटकर 46% रह गए.
हालांकि NHS और कुछ अकादमिक अध्ययनों के अनुसार, ब्रिटिश पाकिस्तानियों में जेनेटिक बर्थ डिफेक्ट्स का अनुपात 30–33% के आसपास है, जो कजिन मैरिज से जुड़ा हुआ पाया गया.
BBC की 2024 की एक रिपोर्ट में 'Born in Bradford' स्टडी से पता चला कि फर्स्ट कजिन पैरेंट्स के बच्चों में 6% को रिसेसिव जेनेटिक डिसऑर्डर होने का खतरा रहता है, जबकि सामान्य जनसंख्या में यह 3% है. स्पीच और भाषा विकास संबंधी समस्याएं 11% बच्चों में पाई गईं, जबकि गैर-कजिन पैरेंट्स के बच्चों में यह केवल 7% थी. फर्स्ट कजिन्स के बच्चों में 5 वर्ष की आयु तक ‘गुड डेवलपमेंट स्टेज’ तक पहुंचने की संभावना 54% थी, जबकि अन्य बच्चों में यह 64% रही.