भारत और यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) के बीच एक ऐतिहासिक व्यापार समझौता हुआ है, जिसे सीईटीए (CETA – Comprehensive Economic and Trade Agreement) कहा जा रहा है। यह समझौता ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के बाद सबसे बड़ा और अहम समझौता माना जा रहा है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे।
2030 तक भारत-ब्रिटेन व्यापार 56 अरब डॉलर से दोगुना हो सकता है।
99% वस्तुओं पर कस्टम ड्यूटी खत्म होगी, जिससे दोनों देशों को सामान सस्ता और तेज़ी से मिलेगा।
योग प्रशिक्षकों, शेफ, शास्त्रीय संगीतकारों और अन्य पेशेवरों को हर साल ब्रिटेन में काम करने के लिए 1,800 का कोटा मिलेगा।
आईटी, शिक्षा, इंजीनियरिंग और हेल्थ सेक्टर के भारतीय एक्सपर्ट्स को ब्रिटेन में आसान पहुंच मिलेगी।
कपड़ा, चमड़ा, रत्न-जवाहरात, खिलौने, समुद्री उत्पाद जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों को बड़ा फायदा मिलेगा।
95% कृषि उत्पादों और 99% समुद्री उत्पादों को शुल्क-मुक्त निर्यात की अनुमति मिलेगी।
ब्रिटेन में काम कर रहे भारतीयों को सामाजिक सुरक्षा अंशदान (Social Security) से 3 साल की छूट मिलेगी।
भारत ने ब्रिटेन को ऑटोमोबाइल और कृषि-खाद्य उत्पादों (जैसे पेय पदार्थ) के लिए आसान पहुंच दी।
हालांकि डेयरी, सेब, खाद्य तेल जैसे संवेदनशील उत्पादों को 'नकारात्मक सूची' में रखा गया है ताकि भारतीय किसानों और उत्पादकों को नुकसान न हो।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा: "हम भारत-ब्रिटेन के बीच एक मजबूत और ठोस साझेदारी के लिए प्रतिबद्ध हैं।"
ब्रिटेन के पीएम कीर स्टारमर ने कहा: "यह समझौता ब्रिटेन में नौकरियां, निवेश और विकास लाएगा।"
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इसे ‘समावेशी और लैंगिक समानता आधारित विकास’ की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताया।
ग्रामीण कारीगरों, बुनकरों और छोटे व्यापारियों के लिए यह समझौता एक नए युग की शुरुआत है।
'मेक इन इंडिया' और 'वोकल फॉर लोकल' को इससे अंतरराष्ट्रीय पहचान और बाज़ार मिलेगा।
यह भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता सिर्फ व्यापार का नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, व्यावसायिक और सामाजिक साझेदारी का नया अध्याय है। इससे नौकरियां बढ़ेंगी, किसानों और कारीगरों की आमदनी बढ़ेगी, और भारत की वैश्विक ताकत को और मजबूती मिलेगी।