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12 हजार स्पेशल ट्रेनों का दावा, फिर भी यात्रियों को मिल रहा सिर्फ वेटिंग और Regret मैसेज!

Train Booking For Diwali And Chhath : 12 हजार स्पेशल ट्रेनों के दावों के बावजूद सीटें पलभर में फुल हो रही हैं. स्लीपर से लेकर एसी तक हर क्लास में सिर्फ वेटिंग और Regret मैसेज दिख रहा है. त्योहार पर घर लौटना इस बार आसान सफर नहीं, बल्कि एक बड़ी चुनौती बन चुका है.

👤 Samachaar Desk 23 Aug 2025 07:15 PM

Train Booking For Diwali And Chhath : त्योहारों का मौसम आते ही अपने घर लौटने का उत्साह हर प्रवासी के चेहरे पर साफ झलकता है. इस साल 18 अक्टूबर को दिवाली और उसके छह दिन बाद 25 अक्टूबर को छठ महापर्व मनाया जाएगा. ऐसे में दिल्ली, मुंबई, पुणे, बेंगलुरु और अन्य बड़े शहरों में काम करने वाले लाखों लोग उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड की ओर रुख कर रहे हैं. लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह है कि रेलवे की स्पेशल ट्रेनों के बावजूद टिकट मिलना बेहद मुश्किल हो गया है.

बुकिंग खुलते ही गायब हो रही हैं सीटें

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दावा किया है कि इस बार भीड़ को देखते हुए करीब 12 हजार स्पेशल ट्रेनें चलाई जाएंगी. इसके बावजूद जैसे ही रिजर्वेशन विंडो खुलती है, मिनटों में सारी सीटें भर जाती हैं. स्लीपर से लेकर थर्ड एसी और सेकंड एसी तक हर क्लास में सिर्फ वेटिंग या Regret नजर आ रहा है. खासकर दिल्ली–बिहार और मुंबई–झारखंड रूट्स पर स्थिति सबसे ज्यादा गंभीर है.

छठ महापर्व पर और बढ़ेगी मुश्किल

त्योहारों के इस मौसम में छठ पर्व का विशेष महत्व है. लाखों लोग अपने गांव जाकर सूर्य उपासना करते हैं. यही वजह है कि दिवाली खत्म होने के तुरंत बाद भीड़ और ज्यादा बढ़ जाती है. दिल्ली, मुंबई, पुणे, लखनऊ, चंडीगढ़ और चेन्नई जैसे शहरों से पूर्वांचल और बिहार की तरफ जाने वाली ट्रेनों में पैसेंजरों की संख्या सामान्य दिनों से कई गुना अधिक हो जाती है.

यात्रियों की सबसे बड़ी मुश्किल रेलवे के रिजर्वेशन नियम से जुड़ी है. फिलहाल टिकट बुकिंग 60 दिन पहले शुरू हो जाती है. यानी जैसे ही त्योहारों की तारीखें नजदीक आईं, लोगों ने पहले से ही टिकटें बुक कर लीं. नतीजा यह हुआ कि जो लोग देरी से रिजर्वेशन करने पहुंचे, उन्हें सीट के बजाय सिर्फ वेटिंग लिस्ट या नो टिकट का मैसेज मिला.

क्या है विकल्प?

हालांकि रेलवे का कहना है कि स्पेशल ट्रेनों के जरिए दबाव कम करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन यात्रियों का बोझ इतना ज्यादा है कि समस्या खत्म नहीं हो रही. कई लोग अब बस सर्विस, निजी टैक्सी, या फिर एयर टिकट बुक करने को मजबूर हैं. लेकिन इनमें किराया सामान्य दिनों से कई गुना ज्यादा हो चुका है.

निष्कर्ष

दिवाली और छठ जैसे बड़े त्योहारों पर घर जाने का उत्साह हमेशा भारी भीड़ में बदल जाता है. रेलवे ने स्पेशल ट्रेनें जरूर चलाई हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि लाखों यात्रियों के लिए सीट मिलना किसी लॉटरी जीतने जैसा हो गया है. ऐसे में त्योहार पर घर लौटना अब सिर्फ खुशी नहीं बल्कि धैर्य और संघर्ष का सफर भी बन गया है.