भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने हाल ही में फाइनेंशियल इंफ्लुएंसर अवधूत साठे और उनकी फर्म अवधूत साठे ट्रेडिंग एकेडमी प्राइवेट लिमिटेड (ASTAPL) के खिलाफ सख्त कदम उठाया है. सेबी ने दोनों को भारतीय स्टॉक मार्केट में किसी भी तरह की गतिविधि करने से रोक दिया है और उनसे 546 करोड़ रुपये निवेशकों को लौटाने का आदेश दिया है. इस राशि का दावा सेबी ने इसलिए किया क्योंकि ये बिना रजिस्ट्रेशन के निवेश सलाह और रिसर्च सेवाएं देने के माध्यम से कमाई गई थी.
अवधूत साठे एक फेमस फिनफ्लुएंसर और स्टॉक मार्केट ट्रेनर हैं. उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और अमेरिका, सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया में काम किया. बाद में भारत लौटकर उन्होंने ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग में करियर बनाना शुरू किया.
2008 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और स्टूडेंट्स को फुल-टाइम ट्रेडिंग ट्रेनिंग देने लगे. उनकी कंपनी अवधूत साठे ट्रेडिंग एकेडमी अब भारत के कई शहरों में फैली हुई है. इसमें मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु, भुवनेश्वर और नागपुर जैसी जगहें शामिल हैं.
सेबी की रिपोर्ट में बताया गया है कि अवधूत साठे ने अपने ट्रेनिंग प्रोग्राम्स के जरिए हजारों लोगों को खास शेयर खरीदने और बेचने की सलाह दी. ये सलाह अक्सर कोर्स लेने वालों को तेज मुनाफा कमाने के नाम पर दी जाती थी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी की गतिविधियों में उनकी पत्नी गौरी साठे भी शामिल थीं, लेकिन उन पर निवेश सलाह देने का कोई ठोस सबूत नहीं मिला.
सेबी के अनुसार, अवधूत साठे और उनकी कंपनी ने करीब 3.37 लाख लोगों से 601 करोड़ रुपये जमा किए. ये पैसा स्टॉक मार्केट ट्रेनिंग, शेयर टिप्स और हाई रिटर्न का दावा करके लिया गया.
सेबी ने साफ किया कि साठे और उनकी कंपनी न तो रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर थीं और न ही रिसर्च एनालिस्ट. बिना रजिस्ट्रेशन के निवेश सलाह देना भारतीय कानून के तहत अवैध है.
सेबी ने साठे और उनकी कंपनी को तुरंत सभी अनरजिस्टर्ड गतिविधियां बंद करने का आदेश दिया है. इनमें शामिल हैं:
खुद को इन्वेस्टमेंट एडवाइजर बताना लाइव मार्केट डेटा का इस्तेमाल करना मुनाफे या परफॉर्मेंस का विज्ञापन करना ऐसे प्रोग्राम चलाना जो लोगों को शेयर खरीदने-बेचने के लिए प्रेरित करें
सेबी ने कहा कि साठे द्वारा दिखाए गए कई “फायदे वाले ट्रेड” केवल चुनिंदा उदाहरण थे और असल में मार्केटिंग के लिए इस्तेमाल किए गए.
सेबी ने अवधूत साठे और ASTAPL को 546 करोड़ रुपये निवेशकों को लौटाने का निर्देश दिया है. जांच में ये भी पाया गया कि 2017 से 2025 के बीच उनकी कमाई में तेजी आई और ये सब बिना जरूरी लाइसेंस के किया गया.