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सुप्रीम कोर्ट में गिड़गिड़ाए कॉमेडियन! दिव्यांगों का मजाक उड़ाने पर समय रैना समेत 5 ने मांगी माफी

दिव्यांगों का मजाक उड़ाने वाले कॉमेडियन समय रैना समेत 5 लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्त माफी मांगी. कोर्ट ने यूट्यूब और सोशल मीडिया पर भी माफी मांगने और भविष्य में सावधानी बरतने का आदेश दिया.

👤 Samachaar Desk 25 Aug 2025 01:32 PM

दिव्यांगों और गंभीर शारीरिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों का मजाक उड़ाने वाले वीडियो मामले में कॉमेडियन समय रैना समेत पांच लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्त माफी मांगी है. कोर्ट ने इन सभी से निर्देश दिया कि वे अपने यूट्यूब चैनल और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी सार्वजनिक रूप से माफी मांगें. साथ ही कोर्ट ने साफ कहा कि भविष्य में ऐसे मजाक से बचा जाए और कॉमेडी के माध्यम से समाज को जागरूक किया जाए.

किन कॉमेडियंस पर लगा आरोप

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, समय रैना के साथ विपुन गोयल, बलराज घई, सोनाली ठक्कर और निशांत तंवर इस मामले में पेश हुए थे. हालांकि कोर्ट ने उन्हें व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी. यह मामला तब सामने आया जब उनके वीडियो में दिव्यांगों का मजाक उड़ाने वाली सामग्री दिखाई दी.

मंत्रालय ने दिए दिशानिर्देश बनाने के संकेत

सुनवाई के दौरान केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय ने बताया कि सरकार इस तरह के कार्यक्रमों को लेकर गाइडलाइंस तैयार करने जा रही है. इसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी व्यक्ति या समूह की गरिमा को ठेस पहुंचाए बिना भी कॉमेडी की जा सके. मंत्रालय ने कहा कि यह गाइडलाइंस केवल हास्य कलाकारों के लिए नहीं, बल्कि सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स पर भी लागू होंगी.

किसने दायर की थी याचिका?

यह मामला क्योर एसएमए फाउंडेशन ऑफ इंडिया की याचिका पर आधारित है. यह संस्था स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) के मरीजों और उनके परिवारों के लिए काम करती है. संस्था ने दिव्यांगों पर मजाक उड़ाने को अमानवीय और असंवेदनशील बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

इंडियाज गॉट लेटेंट शो विवाद से जुड़ा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को "इंडियाज गॉट लेटेंट शो" विवाद से भी जोड़ा, जहां यूट्यूबर रणवीर इलाहबादिया पर अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप लगे थे. इस पर कोर्ट ने कहा कि गाइडलाइंस केवल एक मामले के आधार पर न बनाई जाएं, बल्कि उन्हें व्यापक और विशेषज्ञों की राय के साथ तैयार किया जाए.

आगे की राह

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला हास्य की सीमाओं पर गंभीर बहस को जन्म देता है. कॉमेडी समाज में हंसी और सकारात्मकता लाने का जरिया है, लेकिन यह किसी की गरिमा और संवेदनाओं को ठेस पहुंचाने का माध्यम नहीं होना चाहिए. अब सभी की निगाहें सरकार की ओर हैं कि वह कॉमेडियन और इंफ्लूएंसर के लिए किस तरह की गाइडलाइंस लाती है.