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राहुल-सोनिया गांधी के लिए बड़ी राहत… राउज ऐवन्यू कोर्ट ने ED की चार्जशीट पर सुनवाई से किया इनकार

National Herald case: नेशनल हेराल्ड मामले में राउज ऐवन्यू कोर्ट ने ED की चार्जशीट पर सुनवाई से इनकार किया. राहुल और सोनिया गांधी को बड़ी राहत, जबकि ED जांच जारी रख सकती है. जानें केस की पूरी जानकारी.

👤 Samachaar Desk 16 Dec 2025 12:21 PM

16 दिसंबर 2025 को नेशनल हेराल्ड मामले में राउज ऐवन्यू कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दाखिल चार्जशीट पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया. इस फैसले से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को बड़ी राहत मिली. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ED अपनी जांच जारी रख सकती है, लेकिन फिलहाल चार्जशीट पर सुनवाई नहीं होगी.

चार्जशीट में शामिल हैं कई नामी हस्तियां

ED ने अपनी चार्जशीट में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, सुनील भंडारी, यंग इंडियन और डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड को शामिल किया था. कांग्रेस ने इस कार्रवाई को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया था. वहीं, ED का दावा है कि यह मामला गंभीर आर्थिक अपराध से संबंधित है, जिसमें फर्जीवाड़ा और मनी लॉन्ड्रिंग के स्पष्ट प्रमाण हैं.

सोनिया-राहुल पर 2,000 करोड़ की संपत्ति पर कब्जे का आरोप

ED का आरोप है कि कांग्रेस नेताओं ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) की 2,000 करोड़ रुपए की संपत्तियों पर कब्जा करने के लिए ‘यंग इंडियन’ कंपनी का सहारा लिया. इस अधिग्रहण के लिए मात्र 50 लाख रुपए का भुगतान किया गया. कंपनी के 76% शेयर सोनिया और राहुल गांधी के पास हैं. ED ने इसे ‘अपराध से अर्जित आय’ मानते हुए लगभग 988 करोड़ रुपए बताया. साथ ही, संबद्ध संपत्तियों का बाजार मूल्य 5,000 करोड़ रुपए आंका गया.

चार्जशीट से पहले संपत्तियों की जब्ती

जांच के दौरान 12 अप्रैल 2025 को ED ने AJL की प्रमुख संपत्तियों को कुर्क किया. इसमें दिल्ली के हेराल्ड हाउस, मुंबई के बांद्रा ईस्ट और लखनऊ के विशेश्वर नाथ रोड की बिल्डिंग शामिल हैं. कुल 661 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियों के अलावा AJL के 90.2 करोड़ रुपए के शेयर भी नवंबर 2023 में जब्त किए गए थे. इसका मकसद अपराध से अर्जित आय को सुरक्षित रखना और आरोपी द्वारा इसे नष्ट करने से रोकना था.

नेशनल हेराल्ड केस का इतिहास

नेशनल हेराल्ड केस नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़ा है, जिसकी शुरुआत 1938 में जवाहरलाल नेहरू ने 5,000 स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर की थी. इस अखबार का प्रकाशन AJL करती थी. 2008 में अखबार बंद हो गया, जिसके बाद इसके अधिग्रहण और संपत्तियों के लेन-देन को लेकर विवाद और घोटाले की खबरें सामने आईं.

राजनीतिक और कानूनी परिप्रेक्ष्य

इस मामले में राजनीतिक और कानूनी दोनों पहलू महत्वपूर्ण हैं. ED का आरोप है कि संपत्तियों का अधिग्रहण अवैध रूप से किया गया, जबकि कांग्रेस इसे राजनीतिक उत्पीड़न मानती है. कोर्ट का फैसला फिलहाल राहुल और सोनिया गांधी के पक्ष में रहा है, लेकिन ED की जांच अभी जारी है और भविष्य में नए डेवलपमेंट देखने को मिल सकते हैं.