प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को संसद परिसर में स्थित जीएमसी बालयोगी सभागार में भाजपा सांसदों की कार्यशाला में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने एक अनोखा और दुर्लभ कदम उठाया, जब वे सभी सांसदों के बीच अंतिम पंक्ति में बैठ गए। ऐसा प्रतीत हुआ जैसे वे खुद भी एक साधारण सदस्य की तरह सभा में शामिल हुए हों, और यह उनकी सहज और साधारण शैली को दर्शाता है।
कार्यशाला में सांसदों ने सर्वसम्मति से केंद्र सरकार के व्यापक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) सुधारों का समर्थन करते हुए प्रस्ताव पारित किया। यह सुधार भारत की अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में किए जा रहे सबसे महत्वपूर्ण बदलावों में से एक हैं। जीएसटी परिषद ने हाल ही में 3 सितंबर को कई अहम सुधारों को मंजूरी दी, जिनका उद्देश्य कर स्लैब को सरल बनाना और आवश्यक वस्तुओं तथा सेवाओं पर कर दर को कम करना है।
प्रधानमंत्री मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से अपने संबोधन में इस दिशा में कदम उठाने का वादा किया था। नए सुधारों के तहत अब केवल दो मुख्य कर स्लैब – 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत – रहेंगे, जबकि पाप वस्तुओं पर 40 प्रतिशत की उच्चतम दर लागू होगी। इससे पहले जिन वस्तुओं पर 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत कर लगता था, उन्हें अब मुख्य रूप से इन दो स्लैबों में रखा गया है।
इन सुधारों से आम नागरिकों, विशेष रूप से मध्यम वर्ग, को सीधी राहत मिलेगी। किराना, कपड़ा, जूते-चप्पल, उर्वरक और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पाद जैसी कई आवश्यक वस्तुएँ अब कम कर दर पर उपलब्ध होंगी। इसका उद्देश्य परिवारों पर वित्तीय दबाव कम करना और आम लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़ाना है। अधिकारियों के अनुसार, इन बदलावों से न केवल उपभोग बढ़ेगा बल्कि अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी के इस कदम और कार्यशाला में सुधारों की स्वीकृति ने यह संदेश दिया कि सरकार न केवल कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाने के लिए प्रतिबद्ध है, बल्कि आम नागरिकों की भलाई को भी प्राथमिकता देती है। इस प्रकार, जीएसटी सुधारों और प्रधानमंत्री की सहभागिता ने नीति निर्माण और जनता के हित में सरकार की प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाया।