4 जून 2025, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने पहली बार IPL ट्रॉफी जीतकर इतिहास रच दिया. लेकिन न जाने उनके इस खुशी को किसकी नजर लगा है. बता दे कि चिन्नास्वामी स्टेडियम जश्न से गूंज रहा था, लेकिन बाहर की भीड़ उस जीत को मातम में बदल चुकी थी. हज़ारों की संख्या में लोग स्टेडियम के बाहर जमा थे, उम्मीद थी किसी तरह खिलाड़ियों की एक झलक मिल जाए. लेकिन भीड़ इतनी बेकाबू हुई कि भगदड़ मच गई और इस अफरातफरी में 11 लोगों की जान चली गई इतना ही नहीं 50 लोगों घायल भी हुए.
इनमें एक था 21 साल का भूमिक लक्ष्मण. उसका शव अब कर्नाटक के हसन ज़िले में एक मिट्टी के ढेर के नीचे है और उस मिट्टी को छोड़ने को तैयार नहीं है उसका पिता, बीटी लक्ष्मण. पिता बेटे के क्रब से बार- बार कहता है कि 'मैं अब कहीं नहीं जाना चाहता... मुझे यहीं रहना है,"- यह कहकर वह अपने बेटे की कब्र पर लेट जाते हैं. आंखें सूज चुकी हैं, आँसुओं से चेहरा भीग चुका है और आवाज़ कांप रही है -पर उनका दुःख अडिग है. वीडियो में उन्हें बार-बार यह कहते सुना जा सकता है: "जो ले गए मेरे बेटे को, उन्हें कहो मुझे भी ले जाएं.'
यह वीडियो अब कर्नाटक बीजेपी के आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर वायरल हो रहा है, जिसमें सरकार पर सीधा हमला किया गया है. पोस्ट में लिखा कि “हत्यारे मुख्यमंत्री @siddaramaiah और उपमुख्यमंत्री @DKShivakumar, अगर आपको फोटो ही खिंचवानी थी तो अपने बच्चों और पोते-पोतियों के साथ किसी होटल में खिंचवा लेते. मगर आपने विधान सौध की सीढ़ियों पर फोटो खिंचवाने की ज़िद की कीमत 11 परिवारों को आंसुओं में अपने हाथ धोकर चुकानी पड़ी."
कर्नाटक सरकार ने अब मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवज़े की राशि 10 लाख से बढ़ाकर 25 लाख कर दी है. पर सवाल यह है-क्या यह रकम एक पिता को उसका बेटा लौटा सकती है? क्या 11 माताएं अपने बच्चों के स्पर्श को फिर महसूस कर सकती हैं? भूमिक, जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था, महज़ क्रिकेट प्रेम में स्टेडियम की ओर दौड़ा था। उसे नहीं पता था कि ये दौड़ उसकी आखिरी होगी.