Bomb Expiry Date: दवाओं, बैटरी या खाने की तरह बमों की भी एक तय उम्र होती है. यह बात सुनकर हैरानी हो सकती है, लेकिन सच यह है कि हर तरह के विस्फोटक एक निश्चित समय तक ही सुरक्षित और प्रभावी रहते हैं. समय बीतने के साथ इनमें मौजूद रसायन और मैकेनिकल पार्ट खराब होने लगते हैं, जिससे वे खतरा बन सकते हैं. इस लेख में हम समझेंगे कि बम क्यों एक्सपायर होते हैं, इससे क्या खतरे होते हैं और सेना इन्हें कैसे संभालती है.
विस्फोटक खास केमिकल कंपाउंड्स से बनाए जाते हैं. वक्त के साथ ये रसायन अपनी स्थिरता खोने लगते हैं. गर्मी, नमी और लंबे समय तक भंडारण. इन कारणों से रसायन विघटित हो जाते हैं. जब विस्फोटक अस्थिर होने लगते हैं, तो बम या तो सही समय पर नहीं चलता या फिर हैंडलिंग के दौरान अचानक फट सकता है.
जैसे-जैसे बम पुराना होता जाता है, उसका रिस्क बढ़ता जाता है.
युद्ध में इस्तेमाल होने पर नहीं फट सकता - जिससे मिशन फेल हो सकता है. खुद-ब-खुद फटने का खतरा - रासायनिक बदलावों से बम बिना ट्रिगर के भी विस्फोट कर सकता है.
सेना ऐसी अनिश्चितता नहीं झेल सकती, इसलिए पुराने बमों की पहचान समय पर की जाती है और उन्हें सुरक्षित तरीके से नष्ट किया जाता है.
बम को चलाने में कई प्रकार के पार्ट्स शामिल होते हैं, जैसे:
फ्यूज इलेक्ट्रॉनिक सर्किट टाइमिंग डिवाइस बैटरी प्रेशर सेंसर मैकेनिकल ट्रिगर
समय के साथ इनमें जंग लग सकती है, बैटरी का चार्ज खत्म हो सकता है या पार्ट्स टूट सकते हैं. इससे बम का काम करना अनिश्चित हो जाता है.
विभिन्न प्रकार के हथियारों की अलग एक्सपायरी होती है-
पारंपरिक बम: 10–20 साल एडवांस मिसाइलें: 30–50 साल परमाणु हथियार: कई दशकों तक कार्यक्षम
सेना नियमित रूप से अपने गोला-बारूद का निरीक्षण करती है. किसी बम में जंग, रिसाव या रासायनिक बदलाव दिखते ही उसे तुरंत अप्रचलित घोषित कर दिया जाता है.
जब बम अपनी सुरक्षित उम्र पार कर लेता है, तो उसे फौरन नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू होती है. इसके लिए विशेष EOD (Explosive Ordnance Disposal) टीमों को बुलाया जाता है. वे बम को इन तरीकों से नष्ट करती हैं-
नियंत्रित तरीके से विस्फोट खुले में नियंत्रित दहन सुरक्षित घटकों को निकालकर बाकी हिस्से नष्ट करना