एशिया कप में आज भारत और पाकिस्तान के बीच हाई-वोल्टेज मुकाबला होने जा रहा है. लेकिन यह मैच खेल से ज्यादा राजनीति और भावनाओं का मुद्दा बन गया है. देशभर में इसको लेकर विरोध तेज हो गया है. विपक्षी दल ही नहीं, आम लोग भी सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जता रहे हैं. यहां तक कि बीजेपी के सहयोगी दल भी विरोध की राह पर हैं.
महाराष्ट्र में शिंदे गुट की शिवसेना के नेता संजय निरूपम ने भारत-पाक मैच को लेकर विरोध दर्ज कराया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने हमेशा आतंकवाद को बढ़ावा दिया है और भारत के खिलाफ साजिशें रची हैं. ऐसे में पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह का खेल, सांस्कृतिक या कूटनीतिक संबंध नहीं होना चाहिए. निरूपम ने याद दिलाया कि बालासाहेब ठाकरे भी हमेशा यही विचार रखते थे.
पूर्व क्रिकेटर और पश्चिम बंगाल के खेल मंत्री मनोज तिवारी ने भी इस मैच का विरोध करते हुए कहा कि वे भारत-पाकिस्तान मैच ही नहीं बल्कि पूरे एशिया कप का बहिष्कार कर रहे हैं. तिवारी का कहना था कि लोगों की जानें खेल से कहीं ज्यादा कीमती हैं. पुलवामा, पठानकोट और पहलगाम जैसे आतंकी हमलों को भुलाना आसान नहीं है. उन्होंने कहा कि जिन्होंने अपने परिवार खोए हैं, वही दर्द समझ सकते हैं.
पुणे के संतोष जगदाले, जो पहलगाम हमले में शिकार हुए थे, उनकी बेटी असावरी जगदाले ने भी इस मैच पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि छह महीने पहले हमला हुआ था और अब यह मैच कराया जा रहा है, यह बेहद शर्मनाक है. असावरी ने तंज कसते हुए कहा, “क्या पैसा अब देशभक्ति तय करता है?” गुजरात के भावनगर निवासी सावन परमार, जिन्होंने हमले में अपने पिता और भाई को खोया, उन्होंने भी गुस्सा जताया और कहा कि इस मैच की खबर सुनकर उनका दिल टूट गया.
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना-यूबीटी ने भी इस मैच के खिलाफ प्रदर्शन किया. मुंबई में महिला कार्यकर्ताओं ने सिंदूर के साथ प्रदर्शन किया और ऐलान किया कि वे प्रधानमंत्री मोदी को सिंदूर भेजेंगी, ताकि सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से ले.
भारत-पाकिस्तान मैच हमेशा रोमांच और जज़्बात का खेल रहा है, लेकिन इस बार मामला अलग है. आतंकवादी हमलों की ताज़ा यादों और राजनीतिक विरोध ने इस मुकाबले को विवादों में डाल दिया है. अब देखने वाली बात यह होगी कि मैदान के अंदर यह जंग कैसी होती है और मैदान के बाहर इसका राजनीतिक असर कहां तक पहुंचता है.