भारतीय समाज में आंख फड़कना एक तरह की मान्यता से जुड़ा हुआ है. दाईं आंख फड़के तो लोग इसे शुभ मानते हैं, जबकि बाईं आंख फड़के तो अशुभ की आशंका में घबरा जाते हैं. लेकिन क्या वाकई आंख फड़कना कोई ज्योतिषीय या आध्यात्मिक संकेत है, या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक वजह भी छिपी होती है? विशेषज्ञ बताते हैं कि आंखों का बार-बार फड़कना आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी का संकेत हो सकता है, जिसे हल्के में लेना सही नहीं होगा.
मेडिकल भाषा में इसे मायोकिमिया (Myokymia) कहा जाता है, जो असल में पलकों की मांसपेशियों में आने वाली सूक्ष्म ऐंठन है. यह कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनटों तक रह सकती है. मायोकिमिया का सबसे बड़ा कारण शरीर में कुछ खास विटामिन्स और मिनरल्स की कमी माना जाता है.
एक्सपर्ट के अनुसार बार-बार आंख फड़कने के पीछे मुख्य रूप से तीन तरह के न्यूट्रिशनल डिफिशिएंसी देखे जाते हैं,
मैग्नीशियम की कमी: मैग्नीशियम हमारी मांसपेशियों को रिलैक्स करने और नर्वस सिस्टम को कंट्रोल में रखने का काम करता है. जब इसकी मात्रा शरीर में कम हो जाती है, तो पलकों की मांसपेशियों में झटके या फड़कन शुरू हो सकती है.
विटामिन बी12 की कमी: विटामिन बी12 की कमी न्यूरोलॉजिकल समस्याएं खड़ी कर सकती है, जिससे चेहरे की या आंखों की मांसपेशियों में ऐंठन हो सकती है.
विटामिन डी की कमी: विटामिन डी की कमी से मांसपेशियों में कमजोरी, थकान और ऐंठन की दिक्कत बढ़ती है, जिससे पलकों में बार-बार फड़कन का अनुभव होता है.
1. सबसे पहले अपनी डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां, नट्स, बीज, अंडे और डेयरी प्रोडक्ट्स शामिल करें.
2. मैग्नीशियम और विटामिन बी12 सप्लीमेंट्स डॉक्टर की सलाह लेकर लें.
3. मोबाइल या लैपटॉप का स्क्रीन टाइम कम करें.
4. योग, मेडिटेशन और भरपूर नींद लें ताकि तनाव कम हो सके.
आंख फड़कना सिर्फ कोई शुभ-अशुभ इशारा नहीं है, बल्कि आपके शरीर का एक चेतावनी संकेत भी हो सकता है कि उसे जरूरी पोषक तत्वों की जरूरत है. अगर आपको बार-बार ऐसी समस्या हो रही है, तो इसे नजरअंदाज न करें और डॉक्टर से सलाह जरूर लें. अच्छी डाइट और संतुलित जीवनशैली से इस परेशानी को काफी हद तक रोका जा सकता है.