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व्रत खोलेगा भाग्य का ताला! मोक्षदा एकादशी पर बन रहा है अद्भुत शुभ मुहूर्त, जानें पूजा-विधि वरना छूट जाएगा पुण्य!

Mokshada Ekadashi 2025: मोक्षदा एकादशी 2025 की तिथि, समय, धार्मिक महत्व, गीता जयंती, पूजा-विधि और खास मान्यताओं के बारे में विस्तार से जानिए. यह एकादशी मोक्ष, पाप-क्षय और आत्मशुद्धि का सर्वोत्तम दिन माना गया है.

👤 Samachaar Desk 29 Nov 2025 11:43 AM

हिंदू धर्म में एकादशी का स्थान अत्यंत पवित्र माना जाता है. हर माह दो बार आने वाली एकादशी न केवल व्रत और आध्यात्मिक साधना का दिन है, बल्कि यह मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करने का अवसर भी देती है. मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को मोक्षदा एकादशी कहा जाता है. जैसा कि नाम से स्पष्ट है यह तिथि मोक्ष और मुक्ति प्रदान करने वाली मानी जाती है. धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि इस दिन व्रत करने से न केवल पापों का क्षय होता है, बल्कि आत्मा को शांति और जीवन को नई दिशा मिलती है.

मोक्षदा एकादशी का धार्मिक महत्व

मोक्षदा एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है. इसी तिथि पर गीता जयंती भी मनाई जाती है, क्योंकि माना जाता है कि मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन ही भगवान कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का दिव्य ज्ञान दिया था. इसीलिए इस दिन गीता-पाठ बेहद शुभ माना जाता है.

जैन परंपरा में यह तिथि मौन एकादशी के रूप में जानी जाती है. जैन श्रद्धालु दिनभर उपवास, साधना और आत्मचिंतन द्वारा आत्मशुद्धि और संयम का पालन करते हैं.

मोक्षदा एकादशी 2025 की तिथि और समय

साल 2025 में मोक्षदा एकादशी 1 दिसंबर 2025 को पड़ रही है.

  1. एकादशी तिथि प्रारंभ: 30 नवंबर 2025, रात 9:29 बजे
  2. एकादशी तिथि समाप्त: 1 दिसंबर 2025, शाम 7:01 बजे
  3. पारण का समय (द्वादशी): 2 दिसंबर 2025, सुबह 6:57 बजे से 9:03 बजे तक

इस दिन सुबह 8:20 बजे से शाम 7:01 बजे तक भद्रा, और सुबह 6:56 से रात 11:18 बजे तक पंचक रहेगा. व्रतियों को इन स्थितियों का ध्यान रखते हुए पूजा-पाठ करना चाहिए.

मोक्षदा एकादशी पूजा-विधि

  • सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र जल से स्नान करें.
  • पीले, साफ और सादे वस्त्र पहनें.
  • भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को पूजा-स्थान पर स्थापित करें.
  • गंगाजल से शुद्धिकरण कर दीपक जलाएं.
  • भगवान विष्णु को तुलसी दल, पीले पुष्प, फल, पंचामृत, केला और पीली मिठाई अर्पित करें.
  • व्रत का संकल्प लेकर फलाहार या निर्जला व्रत रखें.
  • पूरे दिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जप करें.
  • इस दिन गीता का पाठ अत्यंत शुभ है, इसलिए कम से कम एक अध्याय अवश्य पढ़ें.
  • शाम को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें.
  • रात में भजन-कीर्तन, ध्यान और प्रभु स्मरण से व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है.
  • द्वादशी के दिन निर्धारित मुहूर्त में तुलसी जल से पारण करें.

पूजा में आवश्यक सामग्री

भगवान विष्णु की प्रतिमा/फोटो, गंगाजल, कलश, पीले/सफेद वस्त्र, दीपक-घी, धूप, चंदन, पीले फूल, तुलसी पत्ते, पंचामृत, फल, पीली मिठाई, चावल, कुमकुम, पूजा थाली, मेवा तथा संभव हो तो तुलसी का पौधा.

मोक्षदा एकादशी केवल व्रत का दिन नहीं, बल्कि आत्मविश्लेषण, पवित्रता और दिव्यता से जुड़ने का अवसर है. इस एकादशी पर श्रद्धा, शांति और भक्ति के साथ की गई पूजा जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है.