Jagannath Rath Yatra 2025: सोचिए, अगर आपको साल में एक बार खुद को रीसेट करने का मौका मिले, शरीर से लेकर मन तक, तो आप क्या करेंगे? कुछ दिन आराम, सीमित खान-पान, और खुद से बातचीत, है ना? ठीक ऐसा ही हर साल होता है… लेकिन भगवान जगन्नाथ के साथ! और इसी रहस्य से जुड़ी है पुरी की रथयात्रा और उससे पहले की स्नान यात्रा, जो ज्येष्ठ पूर्णिमा पर होती है.
2025 में यह खास दिन 11 जून को है, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी को 108 पवित्र कलशों से स्नान कराया जाएगा. लेकिन इस स्नान के पीछे सिर्फ परंपरा नहीं, एक गहरा आध्यात्मिक और भावनात्मक संदेश छिपा है, डिटॉक्स ऑफ द डिवाइन!
भारी स्नान के बाद जब भगवान 'बीमार' हो जाते हैं, तो उन्हें 15 दिनों के एकांतवास में रखा जाता है. मंदिर बंद हो जाते हैं, दर्शन बंद हो जाते हैं, सिर्फ विशेष सेवक – जो वैद्य कहलाते हैं, सेवा करते हैं. भगवान को गर्म कपड़ों की जगह आरामदायक सफेद सूती वस्त्र पहनाए जाते हैं, ठोस भोजन की जगह सिर्फ जूस, फल और काढ़ा दिया जाता है.
क्या ये हमें नहीं बताता कि ओवरएक्सपोजर, ओवरवर्क और ओवरकनेक्टेड लाइफ से दूर जाना कितना ज़रूरी है. भगवान भी हर साल रीसेट होते हैं, ताकि रथयात्रा में फिर से पूरी शक्ति से शामिल हो सकें.
इस पवित्र समय में भगवान पर रक्तचंदन, कस्तूरी और औषधीय लेप लगाए जाते हैं, जैसे हम आयुर्वेद से शरीर को संतुलित करते हैं. यह पूरे युग का सबसे बड़ा spiritual wellness retreat है और यह किसी इंसान के लिए नहीं, भगवान के लिए होता है! और हां, रथयात्रा सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं यह एक संदेश है, जब आप तैयार हो जाओ, तो फिर निकलो दुनिया को दर्शन देने यानी purpose के साथ चलो.
तो इस जगन्नाथ रथयात्रा 2025 पर सिर्फ दर्शन न करें, भगवान के इस डिटॉक्स और रिस्टार्ट से कुछ सीखें. शायद यही वजह है कि उनकी अधूरी मूर्तियां भी पूर्णता का प्रतीक बन गईं क्योंकि जब भावना शुद्ध हो, तो शरीर की सीमाएं भी दिव्यता बन जाती हैं.