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Hartalika Teej Puja Muhurat 2025 : जानें कब मनाई जाएगी हरतालिका तीज और क्या है पूजा का समय?

Lord Shiva and Parvati worship timing on Hartalika Teej : कुछ ही दिनों में हरतालिका तीज आने वाली है. इसका व्रत महिलाओं के लिए बेहद खास है. सही मुहूर्त पर पूजा करने से मिलेगा अखंड सौभाग्य, वरना रह सकता है पुण्य अधूरा।

👤 Samachaar Desk 21 Aug 2025 07:18 AM

Lord Shiva and Parvati worship timing on Hartalika Teej : सावन और भाद्रपद के पावन महीने में कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं. इन्हीं में से एक है हरतालिका तीज, जिसे महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, वैवाहिक सुख और सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करती हैं. इस साल हरतालिका तीज का पर्व 26 अगस्त 2025 को आ रहा है. इस दिन सुहागिन महिलाएं और कन्याएं निर्जला उपवास रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं.

हरतालिका तीज का महत्व

हरतालिका तीज का संबंध मां पार्वती और भगवान शिव के विवाह से जुड़ा है. मान्यता है कि माता पार्वती ने कठोर तपस्या कर महादेव को पति रूप में प्राप्त किया था. इस दिन व्रती महिलाएं पार्वती जी की तरह कठोर उपवास करती हैं और देवी-देवताओं की पूजा कर अपने दांपत्य जीवन में सुख और समृद्धि की कामना करती हैं. परंपरा के अनुसार, इस दिन पूजा के दौरान तीज की कथा सुनना भी अनिवार्य माना जाता है.

पूजा का विशेष मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि 25 अगस्त को दोपहर 12:34 से प्रारंभ होकर 26 अगस्त को दोपहर 01:54 पर समाप्त होगी. इस तिथि में सुबह का शुभ मुहूर्त 26 अगस्त की प्रातः 05:56 से 08:31 तक रहेगा.

प्रदोष काल (गोधूलि बेला)

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, हरतालिका तीज की पूजा गोधूलि बेला में करना विशेष फलदायी माना जाता है. इस वर्ष प्रदोष काल का समय 26 अगस्त को शाम 06:49 से 07:11 बजे तक रहेगा.

हरतालिका तीज व्रत विधि

इस व्रत में महिलाएं दिनभर निर्जला उपवास रखती हैं. शाम के समय भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की पूजा की जाती है. पार्वती माता को श्रृंगार सामग्री अर्पित की जाती है और सौभाग्य की प्रार्थना की जाती है. महिलाएं पूजा के दौरान तीज व्रत कथा अवश्य सुनती हैं.

व्रत पारण का समय

हरतालिका तीज का व्रत महिलाएं अगले दिन तोड़ करके पूरा करती हैं. इस साल व्रत तोड़ने का समय 27 अगस्त 2025 की सुबह रहेगा. पूजा-अर्चना और प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती महिलाएं जल ग्रहण कर उपवास तोड़ेंगी.

विशेष परंपरा – चौरचन व्रत

हरतालिका तीज के अगले दिन यानी भाद्रपद चतुर्थी तिथि पर मिथिलांचल की महिलाएं चौरचन व्रत भी करती हैं. यह व्रत खासतौर पर बच्चों की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है. इस प्रकार, भाद्रपद मास के ये पावन दिन न केवल दांपत्य जीवन बल्कि परिवार की खुशहाली से भी जुड़े माने जाते हैं.