Annapurna Jayanti 2025 date: अगहन (मार्गशीर्ष) माह हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है. इस महीने की पूर्णिमा तिथि को माता अन्नपूर्णा की जयंती मनाई जाती है. अन्नपूर्णा देवी को अन्न, समृद्धि और जीवन-निर्वाह की देवी माना जाता है. ऐसा विश्वास है कि माता की कृपा बनी रहे तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती. यही कारण है कि अन्नपूर्णा जयंती हिंदू पंचांग में महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है.
इस साल अन्नपूर्णा जयंती 4 दिसंबर 2025 को मनाई जाएगी. पूर्णिमा तिथि 4 दिसंबर की सुबह से शुरू होकर 5 दिसंबर की सुबह तक रहेगी, लेकिन उदया तिथि 4 दिसंबर को होने के कारण जयंती इसी दिन मानी जाएगी.
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 4 दिसंबर 2025, सुबह 8:37 बजे पूर्णिमा तिथि समाप्त: 5 दिसंबर 2025, सुबह 4:43 बजे
पूजा का शुभ मुहूर्त: 4 दिसंबर 2025, सुबह 10:53 बजे से दोपहर 1:29 बजे तक. यह समय माता अन्नपूर्णा की पूजा, अन्नदान और व्रत के लिए उत्तम माना जाता है.
माता अन्नपूर्णा भगवान शिव की अन्न-रूप शक्ति मानी जाती हैं. एक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने कहा कि संसार में सब कुछ मिथ्या है. तब माता पार्वती ने उनकी परीक्षा के लिए अन्न देना बंद कर दिया. जब भूख फैल गई, तो स्वयं भगवान शिव ने माता अन्नपूर्णा से अन्न देने की प्रार्थना की. उस दिन से अन्न को पवित्र और दिव्य माना जाने लगा.
इस कथा से यह संदेश मिलता है कि संसार में अन्न सर्वोच्च है और इसके बिना जीवन संभव नहीं.
1. जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ-सफाई करें.
2. रसोई के चूल्हे और बर्तनों को गंगाजल से शुद्ध करें.
3. रसोई में माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें.
4. पूजा स्थान पर जल से भरा कलश रखें.
5. माता को रोली, अक्षत, हल्दी, फूल, फल और भोग अर्पित करें. भोग में खीर या कोई सात्विक मिठाई जरूर शामिल करें.
6. घर के अनाज भंडार और चूल्हे की विशेष पूजा करें। डिब्बों पर हल्दी-कुमकुम लगाकर प्रणाम करें.
7. पूजा के अंत में आरती करें और प्रार्थना करें कि घर में कभी अन्न और धन की कमी न हो.
8. गरीबों या जरूरतमंदों को भोजन दान करना बहुत शुभ माना जाता है.
हिंदू धर्म में माता अन्नपूर्णा को जीवन का आधार और समृद्धि देने वाली देवी माना जाता है. वह भगवान शिव की पत्नी माता पार्वती का रूप हैं. अगहन (मार्गशीर्ष) माह में उनकी पूजा का विशेष महत्व है, क्योंकि इस महीने किए गए अनुष्ठान विशेष फलदायी माने जाते हैं.