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ग्लोबल गेम पलट गया! iPhone की दुनिया में अब बोलेगा भारत का डंका, America बना सबसे बड़ा खरीदार

भारत अब अमेरिका को स्मार्टफोन निर्यात करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश बन गया है, जिसने पहली बार चीन को पीछे छोड़ा है. इस उपलब्धि का मुख्य श्रेय Apple की 'चाइना प्लस वन' रणनीति और भारत में iPhone मैन्युफैक्चरिंग को जाता है.

👤 Samachaar Desk 31 Jul 2025 08:24 PM

भारत ने टेक्नोलॉजी क्षेत्र में एक बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है. अब भारत अमेरिका को स्मार्टफोन भेजने वाला सबसे बड़ा देश बन गया है. यह पहली बार हुआ है जब भारत ने इस मामले में चीन को पीछे छोड़ा है. टेक रिसर्च फर्म Canalys की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस बड़ी उपलब्धि के पीछे Apple की ‘चाइना प्लस वन’ रणनीति की अहम भूमिका है.

iPhone का निर्माण भारत में, सप्लाई अमेरिका तक

Apple ने बीते कुछ वर्षों में भारत में iPhone मैन्युफैक्चरिंग में जबरदस्त इजाफा किया है. रिपोर्ट के अनुसार, साल 2025 में भारत में बने करीब 1.5 मिलियन (15 लाख) iPhones को चार्टर्ड कार्गो विमानों के जरिए सीधे अमेरिका भेजा गया. इससे साफ है कि भारत अब ग्लोबल टेक सप्लाई चेन में तेजी से एक मजबूत भूमिका निभा रहा है.

'मेक इन इंडिया' को मिली नई ऊंचाई

भारत की यह उपलब्धि ‘मेक इन इंडिया’ पहल की सफलता को दर्शाती है. केंद्र सरकार की PLI (Production-Linked Incentive) स्कीम और राज्यों की साझेदारियों ने मिलकर भारत को चीन का एक व्यवहारिक विकल्प बना दिया है. अब Samsung और Motorola जैसे ब्रांड्स भी भारत में अमेरिकी मार्केट के लिए उत्पादन शुरू कर चुके हैं, हालांकि फिलहाल वे Apple की तुलना में छोटे स्तर पर हैं.

व्यापारिक नीतियों में अनिश्चितता बनी चुनौती

इस बदलाव का एक और कारण अमेरिका की व्यापारिक नीतियों में अस्थिरता है. अप्रैल 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात पर 26% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिसे फिलहाल 1 अगस्त तक के लिए टाल दिया गया है. ऐसे माहौल में कंपनियां तेजी से चीन के बाहर विकल्प तलाश रही हैं.

iPhone की बिक्री में गिरावट, लेकिन रणनीति सही

हालांकि 2025 की दूसरी तिमाही में अमेरिका में iPhone शिपमेंट 11% गिरकर 13.3 मिलियन यूनिट्स रह गई, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि Apple की लॉन्ग-टर्म रणनीति अब भी मजबूत है. ग्लोबल शिपमेंट में भी 2% की गिरावट दर्ज की गई है, जो मांग में कमी और पॉलिसी अनिश्चितता का संकेत है.

आगे क्या?

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सिर्फ शुरुआत है. बड़े ब्रांड्स भारत की ताकत को पहचान चुके हैं. अब बारी छोटे और मझोले निर्माताओं की है कि वे भी अपनी रणनीति को मजबूत करें और वैश्विक बाज़ार में भारत की पकड़ को और सशक्त बनाएं.