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मालेगांव ब्लास्ट केस में गवाह का बड़ा खुलासा: 'ATS ने Yogi Adityanath का नाम लेने के लिए दी थी यातना'

मुंबई की एक विशेष अदालत में 2008 मालेगांव ब्लास्ट केस से जुड़े एक चौंकाने वाले बयान ने पूरे मामले को नई दिशा दे दी है. हाल ही में इस केस में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया गया.

👤 Golu Dwivedi 02 Aug 2025 12:10 PM

मुंबई की एक विशेष अदालत में 2008 मालेगांव ब्लास्ट केस से जुड़े एक चौंकाने वाले बयान ने पूरे मामले को नई दिशा दे दी है. हाल ही में इस केस में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया गया, जिसके बाद अब एक गवाह का बयान सामने आया है जिसमें उसने महाराष्ट्र एटीएस पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

गवाह मिलिंद जोशीराव ने अदालत को बताया कि उन्हें एटीएस अधिकारियों ने न केवल मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, बल्कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं का नाम लेने के लिए मजबूर किया गया.

एटीएस कार्यालय में सात दिन की हिरासत

मिलिंद जोशीराव उन 39 गवाहों में शामिल थे जिन्होंने सुनवाई के दौरान अपने बयान से पलटी मारी थी. उनका कहना था कि एटीएस ने मुझे आरोपी जैसा ट्रीट किया और अपने ऑफिस में सात दिन तक रखा. अधिकारी मुझ पर पांच आरएसएस के नेताओं का नाम लेने का दबाव बना रहे थे, जिसमें योगी आदित्यनाथ, असीमानंद, इंद्रेश कुमार, प्रोफेसर देवधर, साध्वी और काकाजी शामिल थे। जब मैंने मना किया तो डीसीपी श्रीराव और अतिरिक्त पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने मुझे यातना की धमकी दी.

कोर्ट ने कहा- बयान स्वेच्छा से नहीं, दबाव में दर्ज किया गया

विशेष एनआईए न्यायाधीश ए.के. लाहोटी ने जोशीराव के बयान को लेकर कहा कि 'यह स्पष्ट है कि बयान पूरी तरह से एटीएस अधिकारी द्वारा लिखा गया और यह गवाह की स्वेच्छा से नहीं दिया गया था. ऐसे बयान की विश्वसनीयता पर संदेह बना रहता है. कोर्ट ने यह भी माना कि यह बयान यदि जांच अधिकारी द्वारा भी साबित कर दिया जाए तो भी उसकी प्रमाणिकता संदेह के घेरे में रहेगी'.

7 आरोपी बरी, जांच में पाई गई कई खामियां

31 जुलाई को विशेष अदालत ने मालेगांव विस्फोट केस के सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया, जिनमें बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित शामिल थे. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में विफल रहा और महाराष्ट्र एटीएस की जांच में कई गंभीर त्रुटियां थीं.

'भगवा आतंकवाद' की कहानी गढ़ने का आरोप

इंडिया टुडे से बात करते हुए एक पूर्व एटीएस अधिकारी महबूब मुझावर ने दावा किया कि परमबीर सिंह ने उन्हें निर्देश दिया था कि वह आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और अन्य वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार करें. उनका आरोप था कि यह 'भगवा आतंक' की एक सोची-समझी कहानी गढ़ने का हिस्सा था.

एटीएस के दावों पर सवाल, एनआईए की जांच ने मोड़ा रुख

एटीएस ने अपने आरोपों में दावा किया था कि मालेगांव ब्लास्ट एक दक्षिणपंथी संगठन अभिनव भारत द्वारा किया गया, जिसे कर्नल पुरोहित ने बनाया था। इस संगठन का उद्देश्य भारत को 'हिंदू राष्ट्र – आर्यावर्त' में बदलना और नया संविधान बनाना था. हालांकि, जब केस एनआईए को सौंपा गया तो जांच की दिशा पूरी तरह बदल गई. एनआईए ने अपनी चार्जशीट में कई आरोपियों के खिलाफ सबूतों की कमी बताकर आरोप हटा दिए.

छह साल की सुनवाई के बाद अदालत ने कहा- बम, मोटरसाइकिल और विस्फोटकों को जोड़ने के पर्याप्त सबूत नहीं. कोर्ट में 2018 से चल रही सुनवाई के बाद विशेष न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन यह साबित करने में असमर्थ रहा कि बम मोटरसाइकिल में रखा गया था, वह बाइक प्रज्ञा ठाकुर की थी और कर्नल पुरोहित ने विस्फोटक इकठ्ठा किए थे. इन सभी पहलुओं में अभियोजन पक्ष सबूत नहीं दे पाया और सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया.