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अकाली दल–बीजेपी गठबंधन पर बड़ा बयान… हरसिमरत कौर ने रखी सख्त शर्त… कहा, “पहले पंजाब के मुद्दे सुलझाएं”

Punjab Politics: 2027 के पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले शिरोमणि अकाली दल ने बीजेपी के साथ गठबंधन पर शर्त रखी. हरसिमरत कौर ने स्पष्ट किया कि पंजाब के मुद्दे हल होने पर ही गठबंधन संभव.

👤 Samachaar Desk 02 Dec 2025 04:00 PM

पंजाब की राजनीति में 2027 विधानसभा चुनावों से पहले एक बार फिर हलचल तेज़ हो गई है. क्या शिरोमणि अकाली दल (SAD) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) की दूरियां कम होंगी? क्या पुराने साथियों का दोबारा गठबंधन संभव है? इन सवालों को हवा तब मिली जब पंजाब के पूर्व सीएम और बीजेपी नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गठबंधन पर टिप्पणी की. इसके बाद अकाली दल की वरिष्ठ नेता और सांसद हरसिमरत कौर बादल ने साफ-साफ कहा कि गठबंधन तभी संभव है जब केंद्र पहले पंजाब के मुद्दों को समझे और हल करे.

“हम पंजाबियों के हक पर समझौता नहीं करते”

हरसिमरत कौर ने अपने बयान में दो टूक कहा कि अकाली दल ने हमेशा पंजाब, पंजाबियत और किसानों के हितों के लिए आवाज उठाई है. उन्होंने याद दिलाया कि उन्होंने खुद किसानों के समर्थन में मंत्री पद से इस्तीफा दिया था. उनका कहना था, “हम पंजाब के हितों से कभी समझौता नहीं करेंगे. हमारी पार्टी पंजाब के लिए खड़ी थी, खड़ी है और खड़ी रहेगी.”

“बीजेपी पंजाब में अकाली दल के बिना नहीं जीत सकती”

हरसिमरत कौर ने अमरिंदर सिंह और सुनील जाखड़ का नाम लेते हुए कहा कि जमीनी हकीकत यही है कि पंजाब की राजनीति में बीजेपी की पकड़ कमजोर है. “बिना शिअद के बीजेपी कभी पंजाब में चुनाव नहीं जीत सकती. लेकिन दिल्ली में बैठे सलाहकार नेताओं को गलत दिशा दे रहे हैं.” साफ है कि अकाली दल खुद को पंजाब की राजनीति में अनिवार्य शक्ति मान रहा है.

“अगर गठबंधन हुआ तो बहुतों की दुकानें बंद हो जाएंगी”

हरसिमरत कौर ने अपनी बात और आगे बढ़ाते हुए कहा कि जो लोग निजी स्वार्थों के लिए आज बीजेपी के साथ खड़े हैं, गठबंधन होते ही उनकी राजनीति खत्म हो जाएगी. उनका संकेत साफ था कि पंजाब में बीजेपी की मौजूदा टीम के कई नेता गठबंधन से असहज हैं और इसी वजह से रास्ता और जटिल हो गया है.

कैप्टन अमरिंदर का बयान और 2032 की गूंज

हाल ही में एक इंटरव्यू में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि 2032 तक बीजेपी–अकाली दल गठबंधन की कोई संभावना नहीं दिखती. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए हरसिमरत कौर ने कहा, “उनकी बात ठीक है. अभी तो 2032 तक भी गठबंधन संभव नहीं. लेकिन अगर केंद्र वाकई पंजाब के मुद्दों को समझकर उनका समाधान करे, तभी बात आगे बढ़ सकती है.” अर्थात बातचीत के दरवाजे पूरी तरह बंद नहीं हैं, पर शर्तें सख्त हैं.

“हमें सत्ता चाहिए या पंजाब का हित?” – हरसिमरत कौर

उन्होंने एक बार फिर दोहराया कि अकाली दल सत्ता की राजनीति नहीं करता. “हमारी पार्टी चाहे सत्ता में आए या न आए, हम पंजाबियों के हक की लड़ाई हमेशा लड़ेंगे.” इस बयान से साफ है कि अकाली दल पंजाब की पहचान और किसानों के सवालों को भविष्य की राजनीति का केंद्र बनाने की कोशिश कर रहा है.

क्या 2027 से पहले बड़ा उलटफेर होगा?

2027 के चुनावों में अभी समय है, लेकिन पंजाब की राजनीति में समीकरण तेजी से बदल सकते हैं. अगर केंद्र पंजाब के कृषि, पानी, फेडरल राइट्स और उद्योग से जुड़े मुद्दों पर कदम उठाता है, तो पुराने साथी दोबारा हाथ मिला सकते हैं. वरना, हरसिमरत कौर के मुताबिक गठबंधन की राह लंबी और मुश्किल है.