Logo

Article 240 India: चंडीगढ़ पर बढ़ेगा केंद्र का नियंत्रण? नया संशोधन बिल पंजाब की राजनीति में क्यों लाया भूचाल?

Article 240 India: केंद्र सरकार संविधान (131वां संशोधन) विधेयक लाने की तैयारी में है, जिससे चंडीगढ़ पर केंद्र का सीधा प्रशासनिक नियंत्रण बढ़ सकता है. पंजाब, कांग्रेस, AAP और अकाली दल ने इस कदम को संघीय ढांचे पर हमला बताया है. जानें पूरा मामला.

👤 Samachaar Desk 23 Nov 2025 12:22 PM

केंद्र सरकार बहुत जल्द संसद में संविधान (131वां संशोधन) विधेयक, 2025 पेश करने वाली है. इस प्रस्ताव का सबसे बड़ा लक्ष्य चंडीगढ़ को उन केंद्र शासित प्रदेशों की श्रेणी में शामिल करना है, जहां अनुच्छेद 240 के तहत राष्ट्रपति सीधे प्रशासनिक नियम बनाते हैं और ये नियम संसद के बने कानूनों की तरह ही प्रभावी होते हैं. माना जा रहा है कि जैसे ही यह संशोधन पारित होगा, चंडीगढ़ की प्रशासनिक संरचना पूरी तरह बदल जाएगी. सरकार इस बिल को 1 दिसंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में लाने की तैयारी में है.

क्या है सरकार की योजना?

संसदीय दस्तावेजों के मुताबिक, केंद्र की मंशा चंडीगढ़ को उन प्रदेशों जैसी स्थिति देने की है, जहां विधानसभा नहीं होती या विधानसभा को किसी कारणवश भंग कर दिया जाता है. इनमें शामिल हैं — अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दादरा-नगर हवेली, दमन-दीव और कुछ स्थितियों में पुडुचेरी.

अनुच्छेद 240 के अंतर्गत राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए नियमों का प्रभाव संसद कानूनों जैसा ही होता है. इसका मतलब—अगर संशोधन पास हुआ तो चंडीगढ़ का नियंत्रण लगभग पूरी तरह केंद्र के हाथों में चला जाएगा.

पंजाब में राजनीतिक तूफान

इस प्रस्ताव ने पंजाब की राजनीति में गहरा उबाल ला दिया है. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह कदम पंजाब के अधिकारों को कमजोर करने का प्रयास है. उनका दावा है कि चंडीगढ़ ऐतिहासिक रूप से पंजाब का हिस्सा है और उसे अलग करने की कोई भी कोशिश "अन्याय" है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी इसे संघीय ढांचे के खिलाफ बताते हुए कहा कि चंडीगढ़ पहले भी पंजाब का था और आज भी उसी का है. उनका कहना है कि पंजाब इस बिल को किसी भी कीमत पर पारित नहीं होने देगा.

कांग्रेस और अकाली दल भी हुआ आक्रामक

पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने कहा कि यह प्रस्ताव न केवल अनुचित है, बल्कि भविष्य में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. उन्होंने भाजपा नेताओं से भी अपना स्पष्ट रुख बताने की मांग की.

उधर, शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने केंद्र पर आरोप लगाया कि यह कदम 1970 के समझौते का उल्लंघन है जिसके तहत चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपा जाना था. उन्होंने यह भी कहा कि राजीव–लोंगोवाल समझौता अब तक लागू नहीं हुआ और नया संशोधन पंजाब के हितों को और कमजोर करेगा.

विदेशों में बसे पंजाबी संगठनों की भी चिंता

नॉर्थ अमेरिकन पंजाबी एसोसिएशन समेत कई विदेशी संगठन इस प्रस्ताव को संवैधानिक रूप से संदिग्ध बता रहे हैं. उनके मुताबिक यह पंजाब के ऐतिहासिक अधिकारों को चोट पहुंचाने वाला कदम है.

फिलहाल चंडीगढ़ का नियंत्रण किसके पास?

अभी चंडीगढ़ का प्रशासन पंजाब के राज्यपाल के पास है, जो 1984 से चंडीगढ़ के प्रशासक भी हैं. 2016 में केंद्र ने अलग प्रशासक नियुक्त करने की कोशिश की थी, लेकिन पंजाब में भारी विरोध के चलते फैसला वापस लेना पड़ा था. यही कारण है कि आज यह मुद्दा और ज्यादा संवेदनशील बन गया है.

सभी दल एकजुट – केंद्र के खिलाफ मोर्चा तैयार

इस प्रस्ताव ने पंजाब के राजनीतिक माहौल में अनोखी एकता पैदा कर दी है. आप, कांग्रेस और अकाली दल—तीनों ने मिलकर इस संशोधन का विरोध करने का ऐलान कर दिया है. उनका कहना है कि यह लड़ाई संसद से लेकर सड़क तक चलेगी और चंडीगढ़ के अधिकारों पर कोई समझौता नहीं होगा.