बिहार में नई सरकार के गठन को लेकर अब तस्वीर लगभग साफ होती नजर आ रही है. एनडीए के अंदर सीटों और राजनीतिक समीकरणों के आधार पर मंत्रिमंडल का खाका तैयार किया जा चुका है. सबसे बड़ी बात यह कि एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी जेडीयू नेता नीतीश कुमार के पास ही रहेगी. वहीं, बीजेपी को इस बार दो उपमुख्यमंत्री देने की चर्चा तेज हो गई है, जिससे सत्ता संतुलन और राजनीतिक संदेश दोनों को सही दिशा मिले.
सूत्रों के अनुसार, इस बार मंत्रिमंडल में कुल 31 चेहरे शामिल किए जाएंगे. जेडीयू और बीजेपी को बराबर-बराबर 13-13 मंत्री पद मिलने की बात सामने आई है. गठबंधन के अन्य दलों में,
हालांकि बिहार में कुल 36 मंत्री बनाए जा सकते हैं, लेकिन 5 पद फिलहाल खाली छोड़े जाएंगे. माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इन पदों का इस्तेमाल राजनीतिक संदेश देने, समीकरण साधने या नई परिस्थितियों के मुताबिक किया जाएगा.
इस बार बीजेपी 89 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. ऐसे में दो उपमुख्यमंत्री देने पर आम सहमति बनती दिख रही है. यह फार्मूला कुछ हद तक उत्तर प्रदेश मॉडल जैसा होगा, जहां अलग-अलग क्षेत्रों और सामाजिक समूहों को प्रतिनिधित्व देकर सरकार को संतुलित किया गया था. बिहार में भी बीजेपी इस संतुलन को बनाए रखने की रणनीति अपनाना चाहती है.
इस मंत्रिमंडल विस्तार में एक दिलचस्प फार्मूला अपनाया गया है, हर 6 विधायकों पर एक मंत्री.
इन्हीं आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए हर दल को उसके अनुपात के मुताबिक मंत्री पद दिए जा रहे हैं.
गठबंधन के भीतर यह भी तय माना जा रहा है कि विधानसभा स्पीकर का पद इस बार बीजेपी के खाते में जाएगा. यह फैसला पार्टी की बढ़ी हुई ताकत और विधायकों की संख्या को देखते हुए लिया गया है. इससे विधानसभा में बीजेपी की पकड़ और भी मजबूत होगी.
आज (17 नवंबर) सुबह 11 बजे पटना में बीजेपी विधायक दल की महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है. इसी बैठक में संभावित मंत्रियों की अंतिम सूची तैयार होगी. दो डिप्टी सीएम के नाम भी इसी दौरान तय हो सकते हैं. चर्चा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी इस बैठक में मौजूद रहेंगे, जिससे बैठक का महत्व और बढ़ गया है.
बिहार चुनाव में एनडीए को प्रचंड बहुमत मिला है.
इन सभी दलों की मजबूत उपस्थिति के कारण सरकार गठन का रास्ता पहले से कहीं ज्यादा आसान हो गया है. अब बस शपथ ग्रहण का इंतजार है, जिसके बाद नई सरकार कामकाज संभाल लेगी.