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पाकिस्तान में फिर सैन्य तख्तापलट की सुगबुगाहट? जनरल असीम मुनीर के बढ़ते कद से बढ़ी हलचल, ट्रंप की मुलाकात से बना चर्चा का केंद्र

पाकिस्तान जिसने अपनी आज़ादी के बाद आधे से ज़्यादा वक्त सैन्य शासन में गुज़ारा है, एक बार फिर 'सॉफ्ट कूप' यानी नरम तख्तापलट की आहटों से गूंज रहा है. देश के सेना प्रमुख और हाल ही में फील्ड मार्शल की उपाधि से नवाजे गए जनरल असीम मुनीर की गतिविधियों ने इस चर्चा को और बल दिया है.

👤 Golu Dwivedi 21 Jul 2025 11:54 AM

पाकिस्तान जिसने अपनी आज़ादी के बाद आधे से ज़्यादा वक्त सैन्य शासन में गुज़ारा है, एक बार फिर 'सॉफ्ट कूप' यानी नरम तख्तापलट की आहटों से गूंज रहा है. देश के सेना प्रमुख और हाल ही में फील्ड मार्शल की उपाधि से नवाजे गए जनरल असीम मुनीर की गतिविधियों ने इस चर्चा को और बल दिया है. खासकर जब मुनीर ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से व्यक्तिगत रूप से व्हाइट हाउस में दो घंटे की मुलाकात की, जबकि प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ अब तक ऐसी मुलाकात से वंचित हैं.

यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान की सत्ता की असली चाभी नागरिक नेतृत्व के बजाए रावलपिंडी के सैन्य मुख्यालय में नजर आ रही हो. लेकिन जब एक पूर्व प्रधानमंत्री खुलेआम आरोप लगाता है कि सेनाध्यक्ष उन्हें मारना चाहते हैं, और सेना विदेश नीति तक संभालने लगे, तो ये संकेत सामान्य नहीं होते.

क्या असीम मुनीर बनेंगे अगले अयूब खान?

जनरल मुनीर हाल ही में पाकिस्तान के इतिहास में दूसरे फील्ड मार्शल बने हैं. इससे पहले यह उपाधि अयूब खान को मिली थी, जो आगे चलकर राष्ट्रपति और तानाशाह भी बने. ऐसे में सवाल उठना लाज़मी है – क्या मुनीर भी अयूब खान के रास्ते पर हैं? प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने जरूर साफ किया कि 'मुनीर को राष्ट्रपति बनने की कोई योजना नहीं है,' लेकिन उनका यह बयान उल्टा असर डालता दिख रहा है, क्योंकि इतिहास में अक्सर ऐसे इनकारों के बाद ही बड़े राजनीतिक उलटफेर हुए हैं.

पूरी कूटनीति की कमान सेना के हाथ में?

असीम मुनीर पिछले दो महीनों में अकेले ही श्रीलंका और इंडोनेशिया की यात्राओं पर गए, बिना किसी राजनीतिक प्रतिनिधि के। इससे पहले वो पीएम शरीफ के साथ सऊदी अरब, UAE, तुर्की, ईरान और अज़रबैजान की यात्राओं पर भी गए थे. अब कूटनीतिक पहल की बागडोर भी उनके ही हाथों में दिख रही है.

10 जुलाई को पाकिस्तानी सेना ने एक अभूतपूर्व बयान जारी कर मुनीर की अमेरिका यात्रा की जानकारी दी. जो कि आमतौर पर विदेश मंत्रालय का काम होता है. व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ हुए दो घंटे के ‘कैबिनेट रूम’ और ‘ओवल ऑफिस’ मुलाकात ने दुनिया को यह संदेश दे दिया कि अब अमेरिका को पाकिस्तान से बात करनी है, तो सिर्फ मुनीर से.

भारत की नजरें भी सजग

भारत के लिए जनरल मुनीर कोई नया नाम नहीं है. सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि कश्मीर में हुए पहलगाम आतंकी हमले के पीछे उन्हीं की योजना थी. वे पाकिस्तान के दो-राष्ट्र सिद्धांत के समर्थक हैं और भारत विरोधी बयानबाज़ियों के लिए जाने जाते हैं. सवाल ये है कि क्या भारत के पड़ोस में एक बार फिर सेना की सत्ता में सीधी भागीदारी बढ़ने जा रही है? और अगर ऐसा हुआ, तो भारत की सुरक्षा नीति में भी बड़े बदलाव की आवश्यकता पड़ सकती है.

इमरान खान का आरोप और जेल से चेतावनी

पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान, जो इस समय रावलपिंडी की अडियाला जेल में बंद हैं, खुलकर कह चुके हैं कि “अगर मुझे कुछ होता है, तो असीम मुनीर ज़िम्मेदार होंगे. इस बयान ने राजनीतिक हलकों में सनसनी फैला दी है. अब सवाल यही है क्या पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट की नींव रखी जा चुकी है? क्या मुनीर राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी को हटाकर खुद कुर्सी पर बैठने की तैयारी में हैं? या फिर यह सब सिर्फ एक और 'थ्योरी' है जो कभी साकार नहीं होगी? जो भी हो, यह तय है कि फिलहाल पाकिस्तान की कमान पर्दे के पीछे से जनरल असीम मुनीर ही चला रहे हैं. फिर चाहे वो चुनाव हों, विदेश नीति हो या आंतरिक सुरक्षा.