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तियानजिन में मोदी-जिनपिंग की गुप्त बातचीत! जानें कैसे बदल सकता है भारत-चीन का रिश्ता

मोदी-जिनपिंग मुलाकात: SCO शिखर सम्मेलन से पहले भारत-चीन रिश्तों पर बड़ी चर्चा, व्यापार घाटे और वैश्विक राजनीति पर असर डाल सकती है यह बैठक.

👤 Samachaar Desk 31 Aug 2025 10:16 AM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे हैं. इस दौरे के दौरान उनकी मुलाकात चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हो रही है. माना जा रहा है कि यह मुलाकात लगभग 40 मिनट तक चलेगी और इसमें कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी. यह बैठक SCO सम्मेलन की शुरुआत से पहले हो रही है, जो 31 अगस्त से 1 सितंबर तक चलेगा.

सात साल बाद मोदी का चीन दौरा

यह पीएम मोदी का सात साल बाद चीन का पहला दौरा है और पिछले 10 महीनों में शी जिनपिंग के साथ दूसरी मुलाकात है. इससे पहले दोनों नेता रूस के कजान में हुए ब्रिक्स 2024 सम्मेलन में मिले थे. मौजूदा बैठक ऐसे समय में हो रही है जब भारत-चीन संबंधों में धीरे-धीरे सुधार के संकेत मिल रहे हैं.

बातचीत के अहम मुद्दे

भले ही अभी तक चर्चा के एजेंडे की आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि द्विपक्षीय व्यापार, सीमा सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे विषय केंद्र में हो सकते हैं. दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा एक बड़ी चुनौती है. अप्रैल-जुलाई 2025-26 के बीच भारत का चीन को निर्यात 19.97% बढ़कर 5.75 अरब डॉलर रहा, जबकि आयात 13.06% बढ़कर 40.65 अरब डॉलर पहुंच गया.

SCO सम्मेलन की अहमियत

SCO की स्थापना 2001 में हुई थी और भारत 2017 में इसका सदस्य बना. वर्तमान में संगठन के 10 सदस्य, 2 पर्यवेक्षक और 14 वार्ता साझेदार देश हैं. SCO देशों में दुनिया की लगभग 40% आबादी रहती है और वैश्विक GDP का 20% इन्हीं से आता है. इतना ही नहीं, दुनियाभर के 20% तेल भंडार भी इन देशों के पास हैं. यही वजह है कि इस मंच पर भारत और चीन जैसे देशों की भूमिका और भी अहम मानी जाती है.

अमेरिका की पॉलिसी से बढ़ी अहमियत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और चीन सहित कई देशों पर टैरिफ लगाने के फैसले ने SCO सम्मेलन की अहमियत और बढ़ा दी है. उम्मीद जताई जा रही है कि इस बैठक के बाद एक संयुक्त घोषणा पत्र जारी किया जाएगा, जिसमें वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और व्यापार संतुलन पर विचार हो सकता है.

भारत-चीन रिश्तों की चुनौती

भारत का चीन संग व्यापार घाटा लंबे समय से चिंता का विषय है. वित्त वर्ष 2023-24 में यह अंतर 85.1 अरब डॉलर था. वर्तमान में भारत का चीन संग निर्यात हिस्सा घटकर 11.2% रह गया है, जबकि दो दशक पहले यह 42.3% था. विशेषज्ञों का मानना है कि चीन अपनी प्रभुत्व स्थिति को दबाव बनाने के साधन के रूप में इस्तेमाल कर सकता है, खासकर जब राजनीतिक तनाव बढ़े.

कुल मिलाकर, मोदी-जिनपिंग की यह मुलाकात न केवल द्विपक्षीय संबंधों के लिए अहम है बल्कि SCO सम्मेलन के जरिए वैश्विक राजनीति और व्यापार समीकरणों को भी प्रभावित कर सकती है.