अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल में कई देशों पर टैरिफ लगाकर दबाव बनाने की कोशिश की. भारत पर भी रूस से तेल खरीदने को लेकर अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया. इसके बावजूद भारत और रूस के रिश्तों पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ा. दोनों देशों के बीच व्यापार पहले की तरह चलता रहा और अब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी अगले हफ्ते भारत आने वाले हैं. भारत-रूस संबंध लंबे समय से स्थिर और मजबूत माने जाते हैं.
शुरू में ये सवाल अजीब लग सकता है कि भारत-रूस के व्यापार के बीच शराब का जिक्र क्यों? लेकिन सर्दियों के दौरान शराब की खपत बढ़ जाती है और रूस की प्रसिद्ध वोदका भारत में भी काफी लोकप्रिय है. इसकी लोकप्रियता का एक कारण रूस में इसकी कम कीमत और वहां से आने के बाद भी भारतीय बाजार में इसकी तुलना में किफायती दर है.
रूस में शराब की कीमत इस बात पर निर्भर करती है कि आप उसे कहाँ खरीदते या पीते हैं. साधारण बार में एक पिंट स्थानीय बीयर लगभग 250 रूबल यानी करीब 350 रुपये में मिल जाती है. वहीं एक ग्लास वाइन लगभग 450 रुपये में मिल सकती है. बड़े शहरों के आधुनिक या स्टाइलिश बार में खास तरह की क्राफ्ट बीयर थोड़ी महंगी हो सकती है और इसके लिए लगभग 6-7 डॉलर तक देने पड़ सकते हैं. रूस और कॉकेशस क्षेत्र की वाइनें अक्सर अंतरराष्ट्रीय वाइन की तुलना में सस्ती और स्वाद में अच्छी मानी जाती हैं.
शराब की कीमतें जानने के बाद नजर डालते हैं दोनों देशों के व्यापार पर. भारत और रूस लंबे समय से भरोसेमंद व्यापार भागीदार रहे हैं. वित्त वर्ष 2024–25 में दोनों देशों के बीच कुल व्यापार 68.7 बिलियन डॉलर रहा. ये आंकड़ा महामारी से पहले के 10.1 बिलियन डॉलर के मुकाबले लगभग 5.8 गुना अधिक है. भारत ने रूस को 4.88 बिलियन डॉलर का निर्यात किया, जबकि रूस से आयात 63.84 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया.
इन आंकड़ों से साफ है कि दोनों देशों के रिश्ते मजबूत आर्थिक आधार पर टिके हुए हैं.