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राज्यसभा में ‘वंदे मातरम्’ पर घमासान! अमित शाह के बयान पर भड़के खरगे – सदन में मचा हंगामा!

Vande Matram Debate: राज्यसभा में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे देशभक्ति का प्रतीक बताया और कांग्रेस पर ऐतिहासिक गलती का आरोप लगाया. इस पर मल्लिकार्जुन खरगे भड़क गए और सदन में हंगामा हो गया.

👤 Samachaar Desk 09 Dec 2025 02:56 PM

राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने के अवसर पर मंगलवार, 9 दिसंबर को राज्यसभा में विशेष चर्चा हुई. यह बहस न सिर्फ ऐतिहासिक महत्व रखती है, बल्कि देश की सांस्कृतिक विरासत, स्वतंत्रता आंदोलन की प्रेरणा और आधुनिक राजनीति में इसके स्थान को भी उजागर करती है. गृह मंत्री अमित शाह ने इस चर्चा की शुरुआत करते हुए वंदे मातरम् को “देशभक्ति, त्याग और राष्ट्रीय चेतना का शाश्वत प्रतीक” बताया.

वंदे मातरम् की प्रासंगिकता पर तीखी टिप्पणी

अमित शाह ने कहा कि जो लोग आज इस चर्चा की जरूरत पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें अपनी सोच पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है. उन्होंने साफ कहा कि इस चर्चा का उद्देश्य देश के युवाओं को यह बताना है कि स्वतंत्रता संघर्ष में वंदे मातरम् का योगदान कितना महान था. शाह ने लोकसभा में कांग्रेस नेता द्वारा उठाए गए सवाल पर भी पलटवार किया और आरोप लगाया कि कांग्रेस ने वंदे मातरम् को “दो हिस्सों में बांटा”, जिसका परिणाम बाद में देश के विभाजन के रूप में सामने आया.

खड़गे और शाह आमने-सामने

गृह मंत्री के इस बयान पर राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे भड़क गए और बीच में बोलने लगे. सभापति सीपी राधाकृष्णन ने कई बार उन्हें बैठने का अनुरोध किया, लेकिन वे लगातार बोलते रहे. सत्ता पक्ष की तरफ से भी शोरगुल बढ़ गया. आखिरकार शाह ने कहा—“खड़गे साहब, आपका समय आएगा”, जिसके बाद खड़गे बैठे और चर्चा आगे बढ़ी.

“यह कृति भारत माता के प्रति भाव जगाती है”

शाह ने आगे कहा कि बंकिमचंद्र चटर्जी ने वंदे मातरम् को ऐसे समय में लिखा था जब भारत पर विदेशी शासन का दबदबा था और हमारी संस्कृति पर लगातार हमले हो रहे थे. ऐसे में यह गीत भारतीयों में नई चेतना, आत्मबल और देशभक्ति की भावना जगाता था. उन्होंने बताया कि देश का कोई सैनिक या पुलिसकर्मी जब सर्वोच्च बलिदान देता है, तो उसके होंठों पर आखिरी शब्द यही होते हैं—“वंदे मातरम्”.

चर्चा को बंगाल चुनाव से जोड़ने पर नाराज़गी

गृह मंत्री ने उन दलों पर भी निशाना साधा जो इस बहस को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि कुछ लोग इसे चुनावी संदर्भ में घसीटकर राष्ट्रीय गीत के महत्व को कम करना चाहते हैं, जबकि यह मुद्दा राजनीति से कहीं ऊपर है.

लोकसभा में भी उठा था सवाल

इससे पहले सोमवार को लोकसभा में विपक्ष ने सवाल उठाया था कि इस समय वंदे मातरम् पर चर्चा क्यों कराई जा रही है. शाह ने कहा कि यह गीत सिर्फ बंगाल का नहीं, बल्कि दुनिया भर में स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है.

“आज भी इसकी जरूरत थी, है और रहेगी”

अमित शाह ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि वंदे मातरम् तब भी जरूरी था, आजादी की लड़ाई में भी जरूरी था और आज भी उतना ही जरूरी है. उन्होंने दावा किया कि जब 2047 में “महान भारत” का निर्माण होगा, तब भी वंदे मातरम् की प्रेरणा उतनी ही मजबूत रहेगी.