संसद में हाल ही में हुई चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उपचुनावों और मतदान प्रक्रिया को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि जिन चुनावों को लोकतंत्र की ताकत माना जाता है, वे आज धांधली और दबाव के चलते लोगों का भरोसा खो रहे हैं.
अखिलेश ने रामपुर उपचुनाव का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस दिन मतदान हो रहा था, पुलिस और प्रशासन घर-घर जाकर लोगों को मतदान केंद्र तक जाने से रोक रहे थे. उनका दावा है कि इसी माहौल के कारण पहली बार भाजपा वहां जीतने में सफल रही. उन्होंने कहा कि पार्टी ने कई शिकायतें चुनाव आयोग को दीं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.
सपा अध्यक्ष ने बीजेपी को चुनौती भी दी और कहा, “जहां-जहां उपचुनाव जीते गए हैं, 2027 के विधानसभा चुनाव में एक भी जीत दिखा दीजिए.” उन्होंने मिल्कीपुर उपचुनाव का भी जिक्र किया, जहां उनकी पार्टी ने एक व्यक्ति को पकड़ा जिसने छह बार वोट डाला. बावजूद इसके चुनाव आयोग ने कोई कदम नहीं उठाया. अखिलेश ने कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार का समर्थन किया ताकि चुनाव प्रक्रिया और पारदर्शी हो सके.
अखिलेश यादव ने तकनीकी सवालों और ईवीएम की विश्वसनीयता पर भी चिंता जताई. उन्होंने कहा कि भारत को फिर से बैलेट पेपर पर लौटने की आवश्यकता है. उनका उदाहरण जर्मनी था, जहां ईवीएम से दिए गए वोट मान्य नहीं माने जाते. अखिलेश ने कहा कि चुनाव सुधार की जरूरत इसलिए है क्योंकि समस्याएं बाहरी हस्तक्षेप से नहीं, बल्कि सिस्टम के अंदरूनी स्तर पर होती हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि कई उपचुनावों में वोट चोरी नहीं हुई, बल्कि सर्वेक्षण और वास्तविक मतों की डकैती की घटनाएं हुई हैं.
अखिलेश यादव ने फर्रूखाबाद का चुनाव उदाहरण के तौर पर पेश किया, जहां नतीजे बदलने तक की घटनाएं सामने आईं और उम्मीदवारों ने औपचारिक शिकायतें दर्ज कराई. उन्होंने आरोप लगाया कि कई राज्यों में चुनाव के दौरान महिलाओं के बैंक खातों में पैसे भेजे गए.
अंत में अखिलेश यादव ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया तब ही पारदर्शी मानी जाएगी जब सभी राजनीतिक दलों को समान मंच और समान अवसर मिलेंगे. उन्होंने यह भी जोर दिया कि लोकतंत्र की मजबूती और आम जनता का विश्वास केवल तभी कायम रहेगा जब चुनाव निष्पक्ष और साफ-सुथरी प्रणाली के तहत हों.