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भाजपा का पलटवार: सोनिया गांधी पर 1980 में नागरिकता से पहले मतदाता सूची में नाम जुड़ने का आरोप

भाजपा ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए सोनिया गांधी के मतदाता सूची में नाम जुड़ने पर सवाल उठाया है। भाजपा नेताओं का आरोप है कि 1980 में सोनिया गांधी का नाम मतदाता सूची में शामिल किया गया

👤 Saurabh 13 Aug 2025 05:42 PM

भाजपा ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के मतदाता सूची में नाम जुड़ने के समय पर सवाल उठाए हैं। यह मामला तब सामने आया जब हाल ही में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने "वोट चोरी" का आरोप लगाया था। भाजपा नेता अनुराग ठाकुर और अमित मालवीय ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी वोट बैंक सुरक्षित करने के लिए गलत तरीके अपनाती है और तुष्टिकरण की राजनीति करती है।

अनुराग ठाकुर ने बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान (SIR) का कांग्रेस द्वारा विरोध करने पर सवाल उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि रायबरेली, डायमंड हार्बर और कन्नौज जैसे क्षेत्रों में डुप्लिकेट मतदाताओं, फर्जी पते, उम्र में गड़बड़ी और बड़े पैमाने पर अवैध मतदान के मामले सामने आते हैं। रायबरेली वह सीट है, जहां से राहुल गांधी सांसद हैं।

अमित मालवीय ने सोनिया गांधी के मतदाता पहचान पत्र पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि सोनिया गांधी का नाम पहली बार 1980 में मतदाता सूची में शामिल हुआ, जबकि उस समय वह भारतीय नागरिक नहीं थीं और उनके पास इतालवी नागरिकता थी। मालवीय ने कहा कि यह कानून का उल्लंघन है क्योंकि मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए भारतीय नागरिक होना जरूरी है। उनके अनुसार, यह नाम 1982 में विरोध के बाद हटा दिया गया था, लेकिन 1983 में फिर से जुड़ गया।

मालवीय ने एक पुरानी मतदाता सूची की तस्वीर भी साझा की और बताया कि उस समय गांधी परिवार 1, सफदरजंग रोड, दिल्ली में रहता था, जो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का आधिकारिक आवास था। उस पते पर इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, संजय गांधी और मेनका गांधी के नाम पहले से दर्ज थे।

यह पूरा विवाद तब और बढ़ गया जब 7 अगस्त को राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में महाराष्ट्र और कर्नाटक सहित कई राज्यों में मतदाता सूची में गड़बड़ियों का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि एक करोड़ फर्जी मतदाता हैं, सीसीटीवी फुटेज नष्ट किए गए हैं और चुनाव आयोग ने जरूरी डेटा साझा करने से मना कर दिया। चुनाव आयोग ने उनसे शपथ लेकर सबूत देने को कहा, जिस पर राहुल गांधी ने कहा कि आयोग अपने रिकॉर्ड चेक कर सकता है।